सूरत : व्यापार की परिस्थिति और लॉकडाउन के बाद के हालात

सूरत : व्यापार की परिस्थिति और लॉकडाउन के बाद के हालात

कोरोना के डर के कारण नहीं निकल रहे है लोग घर के बाहर, रिटेल ग्राहक भी नहीं खरीद रहे सामान

देश भर में फैले हुये कोरोना महामारी के कारण पिछले वर्ष लॉकडाउन के कारण प्रभावित हुए कपड़ा बाजार को इस बार अच्छे लाभ की उम्मीद थी। लेकिन एक बार फिर  कोरोना संक्रमण तेजी से फैल गया और चन्द दिनों में ही समग्र भारत की मंडियों में फैल गया। कुछ दिन पहले से नाइट कर्फ्यू के तहत शाम छह बजे तो कही पांच बजे से सुबह छह बजे तक बाजार बंद करने के आदेश हैं। वहीं कोरोना के डर से लोगों ने खरीदारी ना के बराबर कर दी है। इस कारण शहर का कपड़ा व्यापार एक बार फिर 90 फीसदी से जायदा गिर गया है।
दुकानदारों का कहना है कि गर्मी का सीजन शुरू हो चुका लेकिन रिटेल ग्राहक खरीदी नहीं कर रहे। पिछले साल लॉकडाउन के चलते गर्मी का माल बिना बिके पड़ा रहा। जिसे बाद में आधे से भी कम दाम में बेचना पड़ा था। इस साल भी गर्मी का माल पहले ही बना लिया था जो कि अब स्टॉक में रखना पड़ रहा है। कोरोना से पहले व्यापारी सूरत, मुंबई, अहमदाबाद, दिल्ली, बैंगलुरू, कोलकाता और लुधियाना से कपड़ा मंगवाते थे। लेकिन अब इन जगहों से अधिक सामान मंगवाना बंद कर दिया है। मांग के अनुसार ही सीमित कपड़े मंगवाए जा रहे हैं।
महामारी के कठिन समय में ऑनलाइन खरीदारी में भी लोग दिलचस्पी नहीं दिखा रहे। ग्राहकों का कहना है कि कपड़े की पहचान ऑनलाइन नहीं हो सकती इसलिए किसी ने भी ऑनलाइन खरीदारी नहीं की। बाज़ार का आलम यह है की बाहर की मंडियां जब तक पूरी तरह नहीं खुलेंगी तब तक सूरत का व्यापार बंद जैसा ही रहेगा। सूरत का टेक्सटाइल बाज़ार पूरी तरह से बाहर की मंडियों पर आश्रित है, आलम यह है की विवर, एंब्रॉयडरी वर्क, प्रोसेसिंग हाउस, वर्कर , पार्सल पैकिंग, सबका पेमेंट तो ड्यू है, पर व्यापारी का पैसा बुरी तरह से बाहर की मंडियों में एवम स्टॉक के रूप में फस गया है।
इस बार सूरत में पहले लॉकडाउन खुला है, प्रोडक्शन चालू है, स्टॉक तैयार हो रहा है जबकि डिमांड न के बराबर है। मार्केट में पेमैंट की समस्या उग्र रूप लेती दिख रही है। ऐसे में ट्रेडर और बाकी घटकों के बीच तनाव की स्थिति उत्पन्न हो रहीं हैं, जो की निकटतम समय में नहीं जाती दिख रही।
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