महामारी के दौरान हुये बुरे हालातों को लेकर कांग्रेस प्रदेश प्रमुख ने किया सरकार पर वार

महामारी के दौरान हुये बुरे हालातों को लेकर कांग्रेस प्रदेश प्रमुख ने किया सरकार पर वार

आनंद की जनरल अस्पताल में पहुँचकर लिए मरीजों के हाल एक साल से अधिक समय मिलने पर भी नहीं किए गए पुख्ता इंतजाम - अमित चावडा

राज्य भर में कोरोना संक्रमण काफी फैला हुआ है, जिससे की अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन की कमी हो रही है। ऐसे में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और आंकलाव विधायक अमित चावड़ा ने आनंद के जनरल अस्पताल का दौरा किया और व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया। साथ ही अस्पताल की व्यवस्थाओं और अस्पताल के डॉक्टरों से मरीजों की स्थिति पर चर्चा की।
आनंद के जनरल अस्पताल में पहुंचने पर, विधायक अमिताभाई चावड़ा ने अस्पताल के सीडीएमओ डॉ. कौशल शाह और डॉ. अमर ने पांड्या के साथ अस्पताल में आवश्यक व्यवस्थाओं पर चर्चा की। इसके अलावा ऑक्सीजन और रेमड़ेसिविर इंजेक्शन की स्थिति के उपचार के बारे में चर्चा की। उन्होंने कोविड-19 आइसोलेशन वार्ड का भी दौरा किया और वहाँ की व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया। मीडिया से बात करते हुए, अमित चावड़ा ने कहा कि वर्तमान में कोरोना में जब संक्रमण बढ़ गया है। तब सरकार का व्यवस्था तंत्र सभी क्षेत्रों में पूरी तरह से विफल रहा है। 

पिछले 25 सालों से राज्य में बीजेपी शासन कर रही है और गुजरात मॉडल की बात की जा रही है। पर पिछले एक साल से व्याप्त कोरोना महामारी के खिलाफ उचित व्यवस्था तंत्र खड़ा करने के लिए सरकार के पास काफी समय था। लेकिन राज्य सरकार कोरोना रोगियों के लिए उचित व्यवस्था और बुनियादी ढांचा स्थापित करने में बुरी तरह विफल रही है। जब मरीज के परिजन मरीज को निजी वाहन में अस्पताल ले जाते हैं, तो मरीज को अस्पताल में भर्ती नहीं किया जाता, जिसकी वजह से लोग मौत को गले लगा रहे है। राज्य में रेमड़ेसिविर इंजेक्शन का उत्पादन हो रहा है फिर भी उसके काला बाजार हो रहा है। इसका जवाब सरकार को देना पड़ेगा। 
आज यह स्थिति पैदा हुई है क्योंकि सरकार ने पहले से योजना नहीं बनाई। अस्पताल के बाहर मरीजों की जो कतार लगी है उसके लिए सरकार को तात्कालिक आयोजन कर उनके त्वरित इलाज के लिए कार्यवाही करनी चाहिए थे। इस महामारी में लोगों की मदद करने के लिए 65 विधायकों ने विधायक ग्रांट में से 7 करोड़ रुपये का अनुदान आवंटित किया था। हम सरकार से पूछना चाहते हैं कि वेंटिलेटर, दवाइयां, इंजेक्शन, बेड क्यों नहीं दिए गए, जबकि उन्हें 7 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे।