सूरतः कोरोना काल में चिड़ियाघर, एक्वेरियम और विज्ञान केंद्र समेत परियोजनाओं की आय घटी

सूरतः कोरोना काल में चिड़ियाघर, एक्वेरियम और विज्ञान केंद्र समेत परियोजनाओं की आय घटी

आगंतुकों की कमी के कारण चिड़ियाघर, एक्वेरियम और विज्ञान केंद्र सहित विभिन्न परियोजनाओं को लाभ कम हुआ है।

महानगर पालिका के राजस्व में गिरावट के साथ प्रोजेक्ट के पीछे का खर्च यथावत 
सूरत समेत पूरे देश में कोरोना महामारी ने अर्थव्यवस्था को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। कभी राज्य की आर्थिक राजधानी रही सूरत अब आर्थिक मोर्चे पर अपनी किस्मत फिर से हासिल करने के लिए संघर्ष कर रही है। कोरोना महामारी के दूसरे चरण के बाद से स्थिति सबसे खराब है। इस सब असमंजस के बीच पालिका के खजाने की भी हवा निकल गई है। दूसरी ओर जनता की सुविधा के लिए पालिका  द्वारा शुरू किए गए प्रोजेक्ट अब सफेद हाथियों की तरह साबित हो रहे हैं। आय में गिरावट के बीच लागत को पूरा करने के लिए आने वाले दिनों में मनपा के विकास कार्यों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है।
यात्रा के शौकीन सुरतिलाला के लिए पालिका  द्वारा चलाए जा रहे चिड़ियाघर, एक्वेरियम और विज्ञान केंद्र समेत विभिन्न परियोजनाएं अब दर्शकों के न आने से धूल-धूसरित हो रही हैं। इसका सीधा असर मनपानी की आय पर पड़ा है क्योंकि कोरोना महामारी के मद्देनजर पिछले 14 महीनों में  जनता को इन सुविधाओं का लाभ कुछ दिन ही मिली होगी। 
चिड़ियाघर सहित परियोजनाएं, जो सालाना करोड़ों  रुपये आय देती थी  अब आगंतुकों की कमी से जूझ रही हैं, जबकि उनके रखरखाव की लागत बरकरार है। वर्ष 2018-19 में सूरत नगर निगम को चिड़ियाघर, एक्वेरियम और गांधी स्मृति समेत परियोजनाओं के जरिए 8.55 करोड़ रुपये की कमाई हुई थी। जबकि साल 2019-20 में यह रेवेन्यू गिरकर 7.71 करोड़ रह गया। 2019-20 में राजस्व में गिरावट का मुख्य कारण गांधी स्मृति भवन था।
जीर्णोद्धार (रिनोवेशन) के कारण  कमाऊ  पुत्र समान गांधी स्मृति भवन की आय एक वर्ष में 70 लाख रुपए से घटाकर 26 लाख रुपए पहुंच गई है। हालांकि, कोरोना महामारी के चलते वित्तीय वर्ष 2020-21 में लॉकडाउन और आंशिक लॉकडाउन सहित संक्रमण को देखते हुए इन सभी आउटलेट और पिकनिक स्पॉट को अधिकतम समय के लिए बंद कर दिया गया है, जिसके परिणामस्वरूप केवल 52 लाख रुपये की नकद आय हुई है। जबकि इन परियोजनाओं के रख-रखाव और कर्मचारियों के पीछे निगम के खजाने पर करोड़ों रुपये का वित्तीय बोझ अलग से पड़ा।
सूरत नगर निगम ने शहर के विभिन्न जोनों में छह सभागार बनाए हैं। नागरिकों और संगठनों को निजी इस्तेमाल के लिए किराए पर देकर निगम को हर साल चार से पांच करोड़ रुपये की आमदनी होती थी। लेकिन कोरोना महामारी में ये सभी सभागार शोभा बन कर रहे हैं।  । इन सभी परियोजनाओं से निगम को साल भर में केवल 5 लाख रुपये ही मिले हैं, जिसके सामने  निगम को सुरक्षा-कर्मचारी और रखरखाव का लाखों रुपये खर्च वहन करना पड़ता है।
गांधी स्मृति, रंग उपवन, सरदार स्मृति भवन, संजीव कुमार ऑडोटोरियम, परफार्मिंग आर्ट गैलरी और स्वामी विवेकानंद सभागार, मनपा द्वारा निर्मित एकमात्र गांधी स्मृति भवन, नवीनीकरण की कमी के कारण बंद कर दिया गया था। अन्य सभी सभागारों के माध्यम से 5.15 लाख की आय के सामने व्यय का आंकड़ा अधिक है।
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