सूरतः कोरोना पीड़ितों को उपचार देने के साथ प्लाज्मा डोनेट कर चिकित्सक ने सामाजिक जिम्मेदारी निभाई

सूरतः कोरोना पीड़ितों को उपचार देने के साथ प्लाज्मा डोनेट कर चिकित्सक ने सामाजिक जिम्मेदारी निभाई

"प्लाज्मा दान वर्तमान समय की मांग और नागरिक धर्म हैः डॉ. भावेश पटेल

जहां कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों में प्लाज्मा थेरेपी काफी कारगर साबित हो रही है, वहीं कोरोना वायरस से ठीक हो चुके कई लोग प्लाज्मा दान करने के लिए आगे आ रहे हैं। ऐसे ही एक डॉक्टर हैं भावेश पटेल। डॉ. भावेश पटेल जिला पंचायत में कोविड कंट्रोल कमांड में चिकित्सा अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने पहली बार प्लाज्मा डोनेट करने के साथ ही दूसरी बार प्लाज्मा दान करने की तत्परता दिखाई है। इस प्रकार इस महामारी में दूसरों की जान बचाने की सेवायज्ञ में डॉ. भावेश पटेल जैसे कई कर्मयोगी उचित बलिदान दे रहे हैं।
सात दिन घर पर इलाज के बाद स्वस्थ हुए डॉ. भावेश पटेल कहते हैं, ''पिछले सितंबर में मेरा कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आया था।'' वह होम क्वारंटाइन हो गये और स्वयं अपना उपचार कर एक सप्ताह होम आइसोलेशन में रहने के बाद स्वस्थ हो गये। स्वस्थ होने के बाद राज्य सरकार की सेवा में शामिल हुए डॉ. भावेश पटेल ने प्लाज्मा दान करने का फैसला किया। उन्होंने 16 अप्रैल को प्लाज्मा दान कर अपना डॉक्टर धर्म निभाया।
प्लाज्मा दान करना वर्तमान समय की मांग और नागरिक धर्म मानते हुए डॉ. पटेल कहते हैं कि एक डॉक्टर के तौर पर मैं प्लाज्मा डोनेशन के महत्व से अच्छी तरह वाकिफ हूं.'' मरीजों के फेफड़ों को प्रभावित करने वाले कोरोना वायरस से उबरने में प्लाज्मा थेरेपी काफी कारगर साबित हो रही है। मेरे  शरीर में विकसित हुई एंटीबॉडी दूसरे की जीवनरक्षा के लिए उपयोगी हो सके इससे उत्तम क्या सकता है? इसके साथ उन्होंने युवाओं और शिक्षित लोगों से प्लाज्मा डोनेट करने की अपील की।
जिला पंचायत स्वास्थ्य शाखा में चिकित्सा अधिकारी के पद पर कार्यरत डॉ. भावेश पटेल का कहना है कि जो लोग कोरोना वायरस से ठीक हो चुके हैं वे 28 दिन बाद प्लाज्मा दान कर सकते हैं। प्लाज्मा डोनेट करने से कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है। प्लाज्मा डोनर के लिए भी अलग से किट का इस्तेमाल किया जाता है ताकि संक्रमण या अन्य किसी तरह का खतरा न हो।
डॉ. भावेश पटेल ने वैक्सीन की दो डोज ली हैं और तुरंत वैक्सीन लेने को कहा है. उन्होंने कहा कि मैंने कोरोना वैक्सीन की दोनों खुराक ले ली हैं। मैं 45 साल से अधिक उम्र के आप सभी से आग्रह करता हूं कि जिसने टीका नहीं लगवाया है वे तुरंत वैक्सीन लगवा ले।  कोरोना की दूसरी लहर से पैदा हुई बीमारी के लिए वैक्सीन ही एकमात्र कारगर उपाय है। यदि वैक्सीन लेने के बाद भी कोरोना होता है, तो भी व्यक्ति इसके गंभीर प्रभावों से बच सकता है। आपको अस्पताल जाने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। कई लोगों ने इस टीके से अपनी रक्षा की है। टीका न लगवा कर जीवन को संकट में नहीं डालना चाहिए। कोरोना संक्रमण से बचने के लिए वैक्सीन ही सबसे प्रभावी उपाय है।"
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