राजकोट : एक निजी स्कूल में छात्रों को मिला 500 बार गृहकार्य लिखने का काम, भड़के अभिभावक

राजकोट : एक निजी स्कूल में छात्रों को मिला 500 बार गृहकार्य लिखने का काम, भड़के अभिभावक

अनस्ट्रेस्ड लर्निंग के नाम पर बच्चों को मिल रहा मानसिक दबाव

पहले के समय में गुरुकुल और विद्यालय शिक्षा का अर्थात ज्ञान का स्थान था और लोग किसी देवालय की तरह इसका सम्मान करते थे। हालांकि इसके पीछे का कारण इन गुरुकुल या विद्यालय में शिक्षा देने वाले लोगों का आचरण भी ऐसा ही सम्मानित होता था पर आज के समय में शिक्षा मात्र व्यापार बनकर रह गया है। आज के समय निजी स्कूलों में बच्चों पर मानसिक अत्याचार दिन ब दिन बढ़ता ही जा रहा है। ऐसा ही एक मामला शहर के सेंट मैरी स्कूल से सामने आया है जहां के कुछ शिक्षकों ने छात्रों पर तालिबानी सजा सुनाते हुए एक अभ्यास को एक या दो बार नहीं बल्कि 500 बार लिखकर लाने का आदेश दिया। छात्रों पर आए इस मानसिक दबाव की जानकारी सामने आने के साथ ही छात्रों और अभिभावकों में हड़कंप मच गया। इसके बाद सभी अभिभावकों ने स्कूल प्राचार्य के पास जाकर अपना आक्रोश व्यक्त किया।


आज की शिक्षा प्रणाली की बात करें तो एक तरफ अनस्ट्रेस्ड लर्निंग की बात हो रही है तो वहीं बच्चों के स्कूल बैग का वजन बच्चे के वजन के बराबर हो जाता है, जिसमें बच्चे की पीठ किसी मजदूर की तरह झुकी रहती है, मानो उन्हें आगे जाकर यहीं बोझा उठाने का काम करना हो! इसके अलावा होमवर्क दिया जाता है जिससे तनाव पैदा होता है। इस अत्याचार के बीच सेंट मैरी स्कूल के कुछ शिक्षकों ने मन में मनमाना दंड दिया और छात्रों को 500 बार होमवर्क करने की सजा दी। इस सजा से बच्चे सहम गए। ये आज के शिक्षक यही नहीं रुके, कार्य न कर पाने वाले छात्रों को कक्षा के बाहर खड़े होने के लिए मजबूर होना पड़ा।

स्कूल पहुंचे अभिभावक


इस बात को लेकर घर में छात्रों के बात करने पर परिजन भड़क गए। इसलिए आशीष कुंजाड़िया और यतीश देसाई के नेतृत्व में कई माता-पिता और महिलाएं सेंट मैरी स्कूल पहुंचीं। उन सभी ने प्राचार्य से इस बात का विरोध किया कि यदि छात्र को सत्यापन के लिए पांच या दस बार लिखने को दिया जाए तो ठीक है, लेकिन किसी को दंडित के लिए 500 बार लिखने का काम देना कितना उचित है? छात्रों का मनोबल तोड़ने के लिए कक्षा के बाहर खड़े होने की सजा कितनी जायज है? आदि जांच प्रश्न पूछे।
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