जानें किस तरह यह युवती लेकर आई डांग की आदिवासी महिलाओं के जीवन में परिवर्तन

जानें किस तरह यह युवती लेकर आई डांग की आदिवासी महिलाओं के जीवन में परिवर्तन

फ़ेलोशिप के लिए आई युवती ने बदली गाँव के महिलाओं की तकदीर, बांस के लड़कियों में से बनाते है अद्भुत गहने

गुजरात के आदिवासी परिवार के पास पारंपरिक चीजों का खजाना है। जिसमें एक नया खजाना जुड़ चुका है। दक्षिण गुजरात के दाङ जिले के आदिवासी परिवार अब बांस में से इकोफ्रेंडली गहने बनाने लगे है। यहीं नहीं इसके कारण उनकी आय में भी तीन गुना इजाफा हो रहा है। आदिवासी इलाके में लोगों को रोजगार देने के लिए बांसुली नाम की एक संस्था भी शुरू की गई है। 
29 वर्षीय सलोनी संचेती नामक शुरू की गई यह संस्था डांग में रहनेवाले परिवार की महिलाओं को बांस में से गहने बनाना शिखा रही है। सलोनी का कहना है की साल 2017 में एक फ़ेलोशिप के लिए वह डांग गई थी और वहाँ के आदिवासी परिवारों के लिए वह कुछ करना चाहती थी। इसलिए उसने उनके लिए बांसुली नाम से संस्था की स्थापना की। बांसुली मतलब बांबू आर्टिसन सोशियो इकोनोमिक अपलिफ्टमेंट इनीशिएटिव, जो की आदिवासी परिवार की महिलाओं के लिए काम करती है। 
सलोनी इसके पहले एक सामाजिक संस्था के साथ जुड़ी थी, जो बांस में से गहने बनाती थी। इसी विचार को आगे बढ़ाकर उसने अपना स्टार्टअप शुरू किया। जिसमें उसने बांस के गहने बनाना शुरू किया। इस अभियान में उसने ग्रामीण महिलाओं को शामिल किया। सलोनी ने जेम स्टोन, जर्मन सिल्वर और अन्य धातुओं का इस्तेमाल कर सुंदर गहने बनाने के काम शुरू किया। जो सलोनी ने आदिवासी महिलाओं को भी शिखाया। इस संस्था में 150 से भी अधिक डिजाइन के ईयररींग्स, ब्रेसलेट, पायल, नेकलेस बनाए जाते है। बांसुली के सभी उत्पादन इकोफ्रेंडली है और उनकी गुणवत्ता भी काफी उच्च होती है। 
उच्च गुणवत्ता के कारण लोगों को यह काफी पसंद भी आते है। बारिश की मोसम में गहनों में इस्तेमाल हुआ बांस नमी की वजह से बिगड़े ना इसके लिए उसके ऊपर पहले अलग से प्रक्रिया की जाती है। संस्था में काम करने वाले सभी कारीगरों को वेतन भी दिया जाता है, जिसके चलते ग्रामीण महिलाओं को भी रोजगारी मिलती है।