सूरत : न्यू सिविल हॉस्पिटल में मिला स्क्रब टाइफस का पहला मामला
नर्मदा जिले की आदिवासी महिला को 17 दिनों के इलाज के बाद मिला नया जीवन
जंगल में सीताफल तोड़ते वक्त चिगार कीड़े ने कान के नीचे डंक मारा था
सूरत के न्यू सिविल हॉस्पिटल में पहली बार स्क्रब टाइफस का मामला मिला है। नर्मदा जिले की डेडियापाड़ा निवासी आदिवासी महिला का पिछले 17 दिनों से न्यू सिविल हॉस्पिटल में इलाज चल रहा था। डॉक्टरों की मेहनत रंग लाई और महिला अब पूरी तरह से स्वस्थ्य है।
जानकारी के अनुसार 51 वर्षीया आदिवासी महिला को दिवाली से पहले जंगल में सीताफल तोड़ते वक्त कीड़े ने कान के नीचे डंक मारा था। शुरुआत में कान के नीचे सूजन हो गया। बाद में उसके सिर में लगातार दर्द रहने लगा। महिला को एक निजी हॉस्पिटल ले जाया गया। यहां 2 दिनों तक इलाज के बाद डॉक्टरों ने अन्य हॉस्पिटल में ले जाने की सलाह दी। इसके बाद परिजन महिला को लेकर 17 नवंबर को सूरत के न्यू सिविल हॉस्पिटल पहुंचे। पीड़ित महिला की न्यू सिविल हॉस्पिटल में कई तरह की जांच कराई गई, जिसमें उसे बुखार, लीवर, किडनी और फेफड़े में सूजन की जानकारी मिली।
डॉ अश्विनी वसावा की देखरेख में महिला का इलाज शुरू किया गया। शुरुआत में महिला को श्वांस लेने में तकलीफ थी, जिसके कारण उसे 10 दिनों तक वेंटिलेटर पर रखा गया। बाद में किडनी के इलाज के लिए 4 से 5 बार डायलिसिस किया गया। नियमित दवा और डॉक्टरों की मेहनत रंग लाई और महिला पूरी तरह से स्वस्थ हो गई।
बीमारी का कारण जानने के लिए सैम्पल दिल्ली भेजा
इस बीमारी का कारण जानने के लिए सूरत के निजी लैब में जांच के बाद स्क्रब टाइफस की रिपोर्ट के लिए सैम्पल दिल्ली स्थित एनसीडीसी भेजा गया। रिपोर्ट में स्क्रब टाइफस पॉजिटिव पाया गया।
न्यू सिविल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. गणेश गोवेकर ने बताया कि ओरिएंटा सुसुगामुशी नामक बैक्टीरिया के कारण स्क्रब टाइफस की गंभीर बीमारी से पीड़ित महिला का सफलतापूर्वक इलाज किया गया है। यह बीमारी कीड़ों के काटने से होता है। ऐसी बीमारी विशेष रूप से किसानों में देखी जाती है।
न्यू सिविल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. गणेश गोवेकर की देखरेख में मेडिसिन विभाग के डॉ. अश्विन वसावा, डॉ. वितन पटेल, डॉ. हर्षद आभाला, डॉ. रिया पटेल की टीम ने पीड़ित महिला का इलाज किया। जिसके लिए महिला के पति दिनेश वसावा और उनकी दोनों बेटियों ने डॉक्टरों का आभार व्यक्त किया।
क्या है स्क्रब टाइफस
स्क्रब टाइफस एक गंभीर बीमारी है जो मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, उड़ीसा, हिमाचल प्रदेश में देखी जाती है। यह बीमारी ओरिएंटा सुसुगामुशी नामक बैक्टीरिया से होती है। जीवाणु को चिगार कहते हैं। स्क्रब टाइफस तब होता है जब संक्रमित कीड़ा किसी इंसान को काट लेता है। सामान्य तौर पर मानसून के बाद आर्द्र वातावरण में इस जीवाणु का संचरण अधिक होता है। यह कीट नम स्थानों जैसे नदी, नहर, झरने आदि में अधिक मात्रा में पाया जाता है। इस बीमारी में कीड़े के काटने के 7 दिनों तक बुखार, सिरदर्द, पीलिया, उल्टी और पेशाब कम आना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। यह बीमारी मुख्य रूप से किडनी, लीवर, फेफड़े, हृदय और मस्तिष्क जैसे अंगों को प्रभावित करती है। यदि उपचार न किया जाए तो मृत्यु दर 40 प्रतिशत तक होती है।