सूरत : नगर निगम की टीम पर हमले के बाद चौटा बाजार में फिर से अवैध दबाणकर्ता सक्रिय

अवैध दबाव के चलते  कोट इलाके से स्थानांतरित हो रहे सूरत के मूलनिवासी 

सूरत : नगर निगम की टीम पर हमले के बाद चौटा बाजार में फिर से अवैध दबाणकर्ता सक्रिय

पुलिस द्वारा दुकानदारों से तरह-तरह के सबूत मांगे जाते हैं लेकिन हिस्ट्रीशीटर दबाणकर्ताओं से कोई सबूत नहीं मांगा जाता

सूरत शहर के राजमार्ग-चौटा बाजार पर दबाव के मुद्दे पर हुई झड़प और म्युनिसिपल टीम पर हमले के बाद नगर निगम प्रशासन ने दबाव हटाने के लिए चौबीसों घंटे अभियान चलाने की घोषणा की। लेकिन चौबीसों घंटे चलने वाले इस अभियान को नाकामी के तौर पर देखा जा रहा है क्योंकि दबावकर्ताओं के आगे प्रशासन झुक गया हो ऐसा महसूस हो रहा है। फिर से चौटाबाजार और राजमार्ग पर अवैध दबाव जारी है। 

सूरत नगर पालिका के चौटा बाजार और कोट इलाके में दबंगों का इतना कहर है कि इस अवैध धंधे की प्रताड़ना से सूरत शहर के कोट इलाके की आधी आबादी दूसरी जगह शिफ्ट हो गई है। नगर निगम तंत्र और पुलिस व्यवस्था के इस अवैध दबाव की शिकायत करते-करते लोग थक चुके हैं, लेकिन व्यवस्था दबाव हटाने के नाम पर सिर्फ दिखावे का काम करती है। जिससे लोग थक कर कोट क्षेत्र छोड़कर रांदेर-अठवा अंचल में रहने लगे हैं।

ऐसी स्थिति के बावजूद न तो नगर निगम की व्यवस्था संतुष्ट है और न ही भाजपा के शासक। एक व्यापक शिकायत यह भी है कि चौटा बाजार सहित कई इलाकों में अशांत अधिनियम का उल्लंघन किया जा रहा है। चौटा बाजार में जो दुकानदार हैं वे दुकानदार और उनके प्रमाण रखने को मजबूर हैं। सूरत के चौटा बाजार और राजमार्ग पर दबाणकर्ता अधिकांश हठी तत्व भरूच, जम्बूसर, ओलपाड और नवसारी और आसपास के इलाकों से आते हैं। पुलिस ऐसे लोगों से किसी तरह का सबूत नहीं मांगती और वे बेरोकटोक बिच रास्ते पर अपना धंधा करते रहते हैं। जब भी नगरपालिका तंत्र दबाव राहत कार्य करता है तो ये दबंग तत्व नगर निगम की टीम पर हमला कर देते हैं। यद्यपि इस तरह की घटनाएं अक्सर होती रहती हैं, लेकिन न तो नगरपालिका और न ही पुलिस तंत्र दबाव राहत कार्य मजबूती से कर पाता है।

फिलहाल धक्का मुक्की करने वालों ने नगर निगम की टीम पर हमला कर ट्रक से माल छुड़ा दिया। लेकिन उनके खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई है। नगर पालिका व पुलिस के लचर प्रदर्शन से चौटा बाजार एक बार फिर अवैध रंगदारी वसूलने वालों के शिकंजे में आ गया है। पुलिस व नगर पालिका की ऐसी नीति के कारण चौटा बाजार चलने लायक नहीं है। यदि पुलिस या नगर पालिका ने इस मुद्दे पर गंभीरता से दबाव नहीं हटाया तो भविष्य में शहर में शांति की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।

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