सूरत : केमिकल और फार्मा कॉन्क्लेव में निर्यात बढ़ाने पर मंथन, देश के कुल उत्पादन में दक्षिण गुजरात का 33% हिस्सा

टैरिफ चुनौतियों के बीच नए वैश्विक बाजार तलाशने की रणनीति; SGCCI और CHEMEXCIL ने निर्यातकों को 'कंसोर्टियम' बनाने की दी सलाह

सूरत : केमिकल और फार्मा कॉन्क्लेव में निर्यात बढ़ाने पर मंथन, देश के कुल उत्पादन में दक्षिण गुजरात का 33% हिस्सा

सूरत । सदर्न गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (SGCCI) ने CHEMEXCIL – बेसिक केमिकल्स, कॉस्मेटिक्स एंड डाइज़ एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के सहयोग से 16 दिसंबर 2025 को सरसाना स्थित UKM हॉल में केमिकल और फार्मा कॉन्क्लेव का सफल आयोजन किया।

इस कॉन्क्लेव में केमिकल और फार्मा सेक्टर से जुड़े उद्योगपति, निर्यातक और विशेषज्ञ एकत्रित हुए और वैश्विक केमिकल एक्सपोर्ट मार्केट में भारत की स्थिति को और मजबूत करने के लिए संभावनाओं, चुनौतियों और रणनीतियों पर विस्तार से चर्चा की।

कॉन्क्लेव का उद्घाटन करते हुए चैंबर के अध्यक्ष निखिल मद्रासी ने कहा कि साउथ गुजरात देश के कुल केमिकल उत्पादन में 33 प्रतिशत का योगदान देता है, जबकि भारत के कुल केमिकल एक्सपोर्ट में गुजरात की हिस्सेदारी करीब 30 प्रतिशत है। उन्होंने बताया कि फार्मा सेक्टर में गुजरात को फॉर्मूलेशन कैपिटल माना जाता है, जहां देश के 60 प्रतिशत फार्मा प्रोडक्शन का योगदान है।

भारतीय डाइस्टफ इंडस्ट्री और निर्यात संभावनाओं पर बोलते हुए CHEMEXCIL के वाइस चेयरमैन अंकित पटेल ने कहा कि दुनिया में डाइ और पिगमेंट की 35 प्रतिशत मांग चीन पूरी करता है, जबकि भारत 18 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ दूसरे स्थान पर है।

उन्होंने बताया कि इस सेक्टर में 95 प्रतिशत कंपनियां SME श्रेणी की हैं और डाइ की सबसे अधिक मांग टेक्सटाइल इंडस्ट्री से आती है। गुजरात डाइ और इंटरमीडिएट्स का प्रमुख मैन्युफैक्चरिंग हब है।

उन्होंने कहा कि बांग्लादेश और अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ चुनौतियां जरूर हैं, लेकिन अमेरिका मुख्य रूप से एक ट्रेड हब है, बड़ा उपभोक्ता नहीं। ऐसे में टैरिफ को अवसर में बदला जा सकता है।

वियतनाम, लैटिन अमेरिका और यूरोप जैसे वास्तविक उपभोग वाले बाजारों पर फोकस करने, सब्सिडी पर निर्भरता कम करने, गुणवत्ता बढ़ाने और कंसोर्टियम बनाने की आवश्यकता पर उन्होंने जोर दिया।

CHEMEXCIL के डायरेक्टर जनरल रघुवीर किनी ने परिषद की कार्यप्रणाली और केमिकल एक्सपोर्ट में इसकी अहम भूमिका की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में कार्टेल या कंसोर्टियम बनाना बेहद जरूरी हो गया है।

कॉमर्स मिनिस्ट्री के तहत काम करने वाली CHEMEXCIL के देशभर में 3,500 से अधिक सदस्य हैं। उन्होंने बताया कि टैरिफ के बाद नए बाजारों की पहचान पर काम किया जा रहा है और जल्द ही बायर्स–सेलर्स मीट भी आयोजित की जाएंगी। आशंका के विपरीत, टैरिफ का केमिकल एक्सपोर्ट पर बड़ा नकारात्मक असर नहीं पड़ा है।

NRDC के DGM अमिताभ मिश्रा की ओर से उनकी सहयोगी प्रियंका अग्रवाल ने ज़ूम के माध्यम से कॉन्क्लेव में हिस्सा लिया और फार्मा सेक्टर में कमर्शियलाइजेशन के लिए रिसर्च–रेडी प्रोडक्ट्स पर अपने विचार रखे। वहीं, सिंप्लेक्स एक्ज़िम एंड कॉर्पोरेट एडवाइजरी के डायरेक्टर एवं लीड एडवाइज़र आनंद मिरानी ने भारत के फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स (FTA) का प्रभावी उपयोग कर केमिकल एक्सपोर्ट बढ़ाने के तरीकों पर मार्गदर्शन दिया।

कार्यक्रम के अंत में प्रश्नोत्तर सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें प्रतिभागियों ने विशेषज्ञों से सीधे संवाद किया। SGCCI ग्रुप के चेयरमैन राकेश जैन ने कार्यक्रम की रूपरेखा और उद्देश्य पर प्रकाश डाला।

इस अवसर पर चैंबर के वाइस प्रेसिडेंट अशोक जीरावाला, तत्कालीन अध्यक्ष विजय मेवावाला, ऑनरेरी सेक्रेटरी बिजल जरीवाला और ऑनरेरी ट्रेज़रर सीए मितेश मोदी सहित बड़ी संख्या में उद्योग जगत के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

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