राजकोट : ढाई साल के बच्चे पर तीन-चार कुत्तों ने किया हमला, लहूलुहान हालत में अस्पताल पहुंचाया

राजकोट : ढाई साल के बच्चे पर तीन-चार कुत्तों ने किया हमला, लहूलुहान हालत में अस्पताल पहुंचाया

पहले आवारा कुत्ते राहगीरों या दोपहिया वाहन चालकों का पीछा करते थे

राज्य में घूमने वाले सांडों के उत्पात मचाने के बाद अब कुत्तों का आतंक चिंताजनक हद तक बढ़ गई है। पहले आवारा कुत्ते राहगीरों या दोपहिया वाहन चालकों का पीछा करते थे, लेकिन अब घर के आसपास खेल रहे बच्चों को भी निशाना बना रहे हैं। राजकोट के औद्योगिक शापर वेरावल इलाके में ढाई साल के बच्चे अरशद अंसारी पर कुत्तों ने हमला किया है।

तीन से चार कुत्तों ने बच्चे पर हमला किया

शीतला माताजी मंदिर के खुले मैदान में खेलते समय तीन से चार कुत्तों ने बच्चे पर हमला किया। जब आसपास के लोग लहूलुहान हालत में बच्चे को लेकर आये तब परिजनों को इसकी जानकारी हुई। जिसके बाद बच्चे को तुरंत इलाज के लिए राजकोट सिविल रेफर कर दिया गया। 

गर्मियों में कुत्तों के काटने के मामलों में भारी बढ़ोतरी देखी गई

राजकोट शहर और जिले में कुत्तों के आतंक की घटनाएं बढ़ रही हैं। गर्मियों में कुत्तों के काटने के मामलों में भारी बढ़ोतरी देखी गई है। पिछले अप्रैल में 1387 मामले सामने आए थे, जबकि मई में 1345 लोगों को कुत्तों ने काटा था। जबकि जून में 677, जुलाई में 500 और अगस्त में 547 लोगों को कुत्तों ने काटा था। जबकि सितंबर में डॉग बाइट के 586, अक्टूबर में 502 और नवंबर में 592 मामले सामने आए थे।

कुत्तों के खसीकरण अभियान का कोई असर नहीं दिख रहा 

अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा, राजकोट समेत बड़े शहरों में गलियों या चार रास्तों पर घूमने वाले कुत्तों का त्रास लगातार बढ़ता ही जा रहा है। कुत्तों की बढ़ती आबादी और लोगों पर हमलों की बढ़ती घटनाओं के बावजूद प्रशासन आंख मूंदकर बैठा नजर आ रहा है। पहले प्रशासन द्वारा कुत्तों को पकड़ने का अभियान चलाया जाता था, जो काफी समय से बंद है। लिहाजा, सरकारी कागजों पर चल रहे कुत्तों के खसीकरण अभियान का भी मानों सड़कों पर कोई असर नहीं दिख रहा है।

सूरत में कुत्ते के काटने से बच्ची की मौत हो गई

गौरतलब है कि इससे पहले सूरत में भी कुत्ते के काटने की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। 19 फरवरी को सूरत के खजोद इलाके में आवारा कुत्तों ने एक लड़की पर हमला कर दिया था। कुत्ते ने एक के बाद एक 10-15 नहीं बल्कि 40 चोट कर बच्ची को अधमरा कर दिया था। हालांकि तीन दिन तक जिंदगी और मौत से जूझने के बाद आखिरकार इस मासूम की मौत हो गई। डॉक्टरों की एक टीम दिन-रात बच्ची के इलाज में लगी हुई थी। लेकिन बच्ची की जान बचाने के सारे प्रयास नाकाफी साबित हुए और डॉक्टरों को भी मायूसी हाथ लगी। 

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