गुजरात : पालीताणा मंदिर विवाद को लेकर जैन आचार्य भगवंत व हिंदू साधु संतों की बैठक में बड़ा फैसला लिया गया

गुजरात : पालीताणा मंदिर विवाद को लेकर जैन आचार्य भगवंत व हिंदू साधु संतों की बैठक में बड़ा फैसला लिया गया

नीलकंठ महादेव मंदिर को पूरी तरह से कलेक्टर द्वारा प्रशासित किया जाए

पालिताना शत्रुंजय विवाद को लेकर रविवार को जैन साधु भगवंत और हिंदू साधु संतों की बैठक हुई। इस बैठक में अखाड़े के साधु संतों और जैन आचार्यों के बीच पालीताना की तलहटी में बने मंदिर विवाद को लेकर अहम चर्चा हुई। बैठक दो घंटे से अधिक समय तक चली। जिसके बाद साधु संतों ने आस्था के सबसे बड़े केंद्र को लेकर अहम फैसला लिया है।

आज से नीलकंठ महादेव के मंदिर में विधिवत पूजा शुरू हो जाएगी

पालीताना में नीलकंठ मंदिर के पुजारी और आनंदजी कल्याणजी पीढ़ी के बीच मंदिर को लेकर हुए विवाद के बाद  नीलकंठ महादेव के मंदिर में विधिवत पूजा शुरू की जाएगी। इसके अलावा सनातन के साधु संतों ने यह भी मांग की कि नीलकंठ महादेव मंदिर को पूरी तरह से कलेक्टर द्वारा प्रशासित किया जाए और वहां एक पुजारी को भी तैनात किया जाए। साथ ही मंदिर विवाद को शांतिपूर्ण अंत तक लाने के लिए जैन आचार्यों और साधु संतों द्वारा निर्णय लिए गए हैं। जैन समाज के भाई महाराज, नित्यानंदसूरि महाराज, उदयकीर्ति महाराज सहित बड़ी संख्या में जैन समाज के अग्रणी उपस्थित थे। इस तरफ बड़ी संख्या में हिंदू समुदाय के साधु-संत भी मौजूद थे। सर्वसम्मति से शांतिपूर्वक निर्णय लिए गए।

यह शत्रुंजय विवाद था

भावनगर के पालीताना में शत्रुंजय पर्वत पर नीलकंठ मंदिर के बाहर दो दिन पहले तोड़फोड़ की घटना हुई थी। बात यह है कि पालीताना में नीलकंठ मंदिर के पुजारी और आनंदजी कल्याणजी पीढ़ी के बीच मंदिर को लेकर विवाद चल रहा है। इस विवाद के बीच मंदिर के बाहर लगे सीसीटीवी में तोड़फोड़ की गई। इससे जैन समाज में आक्रोश फैल गया। इस संबंध में रविवार को जैन समाज की ओर से विशाल धार्मिक सभा व भव्य रैली का आयोजन किया गया। 

बैठक में देश भर के जैन समाज के अग्रणी व संगठन मौजूद थे

बैठक में देश भर के जैन समाज के अग्रणी व संगठन मौजूद थे। जबकि रैली में 20 हजार से ज्यादा युवा शामिल हुए। जैन समुदाय का आरोप है कि शेत्रुंजी पहाड़ी पर स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर को मंदिर के पुजारी और उनके अनुयायियों ने सीसीटीवी लगाने के दौरान तोड़ दिया। जिससे जैन समाज आक्रोशित हो गया। पहले आनंदजी कल्याणजी पीढ़ी ने इस मंदिर को अपने कब्जे में ले लिया और अपना खुद का पुजारी और चौकीदार नियुक्त किया। जैन समाज के खिलाफ हिंदू संगठनों में भी गुस्सा देखा गया।

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