सूरत : ईश्वर एवं धर्म के साथ जुड़ने पर विद्या, धन, रुप, बल का महत्व बढ़ जाता है  : संत सुधांशुजी महाराज

सूरत : ईश्वर एवं धर्म के साथ जुड़ने पर विद्या, धन, रुप, बल का महत्व बढ़ जाता है  : संत सुधांशुजी महाराज

यह संसार यज्ञ के द्वारा चलता है और यज्ञ निरंतर चलता रहता है

विश्व जागृति मिशन सूरत मंडल द्वारा रामलीला मैदान, मनपा पार्टी प्लाट, रिलायंस मॉल के सामने, एस.डी. जैन स्कूल के पास, वेसू सूरत में चल रहे चार दिवसीय विराट भक्ति सत्संग के दूसरे दिन लोक विख्यात संत सुधांशु जी ने कहा कि श्री कृष्ण गीता के चौथे अध्याय में यज्ञ का उल्लेख किया गया है। यह संसार यज्ञ के द्वारा ही चलता है। यहां यज्ञ का तात्पर्य है किये हुए कार्यों को हजारों गुना करके लौटाना। जो कुछ भगवान ने दिया है, यहीं पर दिया है और सब कुछ यहीं पर छोड़ कर जाना है। बस उसका उपभोग उपयोग और सहयोग करना ही जीवन की सार्थकता है।

शुक्रवार को रुंगटा डेवलपर के अनिल रुंगटा एवं पार्षद वर्षाबेन मथुरभाई बलदानिया उपस्थित होकर महाराजजी से आशीर्वाद लिया। विश्व जाग्रती मिशन के संरक्षक सुरेश मालानी, प्रमुख गोविन्द डांगरा, महामंमंत्री डा. रजनीकांत दवे, उपाध्यक्ष योगेश मोदी, कोषाध्यक्ष अश्विनी अग्रवाल आदि ने स्वागत किया। संचालन का संचालन आचार्य रामकुमार पाठक ने किया।  मंडल के पूरण मल सिंघल, राम केवल तिवारी, इन्द्रमणि चतुर्वेदी, देवीदास पाटिल, बबलू तिवारी, रामू मूले, वंशी जोशी, सीताराम मारु, किशोर पाटिल आदि सहित महिला इकाई की बहनें व्यवस्था में जुटे हैं। 

भगवान का यज्ञ सदा चलता रहता है

महाराज जी ने कहा कि जीवन में जो कुछ भी परमपिता परमात्मा की कृपा से प्राप्त है, उसे भगवान को अर्पण करके मानव अपने को ऊंचा उठा सकता है। जगत में कोई विद्यावान, कोई धनवान, कोई रूपवान,कोई बलवान होता है। लेकिन सभी को शून्यता प्राप्त होती है। परंतु इन्ही गुणों के साथ एक ईश्वर और धर्म जुड़ जाये तो इन शून्यता की महत्ता बढ़ जाती है। यानी व्यक्ति  परमात्मा और धर्म को अपनाकर महान बन जाता है। असलियत तो तुम जानते हो या भगवान जानते हैं बाकी तो सब नाटक है। हृदय के अंदर परमात्मा उतर जाता है तो जीवन सार्थक हो जाता है। जिसकी आत्मा जागृत हो जाए उसको जीने आ जाता है। यज्ञ से सृष्टि का क्रम चलता है। यज्ञ हर दिन चलता रहना चाहिए। भगवान का यज्ञ सदा चलता रहता है। यज्ञ ही जीवन का मार्ग है।

बोया, खाया और बोला अपने को ही भोगना पड़ता है

सूरज के उगने के साथ ही जीवन यात्रा शुरू होती है। मानव जब तक उपयोगी, सहयोगी होता है तब तक ही उसका सम्मान है। बोया, खाया और बोला अपने को ही भोगना पड़ता है। अर्थात जो बोया उसे अपने को ही काटना होगा, जो खाया व बोला उसका अच्छा बुरा परिणाम हमें ही भुगतना पड़ेगा। बड़े भाग्यशाली वे लोग होते हैं जो अपने बड़ों यानी माता-पिता का अनुभव ग्रहण करते हैं। यज्ञ के माध्यम से सृष्टि बनाई गई है। जो थोड़ा देने पर हजार गुना लौटाए वह देवता, जो दिया हुआ लौटा दे वह मानव और जो छीन लेता है व दिया हुआ नहीं लौटाता वह राक्षस होता है।  

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विराट भक्ति सत्संग में उमड़े श्रद्धालु

 

मां बाप की सेवा ही स्वर्ग है

महाराजजी ने कहा कि  मां बाप की सेवा ही स्वर्ग है। जिस प्रकार बच्चे जिद करते हैं तो मां बाप उनकी हर जिद को पूरा करने करते हैं इसी तरीके से बुढ़ापे में मां बाप बच्चे के समान हो जाते हैं उनकी हर बात को बेटे को समझना चाहिए। उनकी भावनाओं को समझना चाहिए। हर संभव प्रयास करके उनके साथ कुछ समय व्यतीत करना चाहिए। महाराज जी के सानिध्य में वैभव लक्ष्मी पूजन भी होगा। इसका मुख्य उद्देश्य हमारा वैभव, हमारे रिश्ते, परिवार, व्यापार सुरक्षित रहे, हमारे रिश्तों की ताकत बनी रहे इसके लिए यह पूजन किया जाएगा। 

 चाइल्ड वेलफेयर कमिटी के पदाधिकारी मौजूद रहे
 
 चाइल्ड वेलफेयर कमिटी के पदाधिकारियों की टीम भी उपस्थित रही। टीम के सदस्यों ने बालाश्रम की कार्यों की सराहना की और महाराज जी से आशीर्वाद लिया। अधिकारी ने कहा कि सूरत शहर जिले में इस तरह से 9 संस्थाएं है, लेकिन उसमें विश्व जागृति मिशन सूरत मंडल श्रेष्ठ है। जिसके व्यवस्था की प्रशंसा जितनी की जाए कम है। यहां हम लोग सामने से आकर पूछते हैं कि कोई सेवा,कोई सहयोग या किसी प्रकार की कार्य हो तो बताएं। इतना व्यवस्थित कार्य और किसी संस्था में देखने को नहीं मिलता। महाराज जी ने भी सहयोग के लिए अधिकारियों की टीम की प्रशंसा की और शुभकामनाएं 
प्रेषित की।

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