सूरत : भगवान कभी किसी की वस्तु को नहीं, केवल भक्तों के भाव को देखते हैं : मनुश्री महाराज

सूरत : भगवान कभी किसी की वस्तु को नहीं, केवल भक्तों के भाव को देखते हैं : मनुश्री महाराज

श्री कृष्ण जन्मोत्सव प्रसंग आज

मलमास के पावन उपलक्ष्य में ओपन ग्राउंड कृष्णा हेरिटेज के सामने अंबिका टाउनशिप के पास डिंडोली सूरत में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के तृतीय दिवस व्यासपीठ से राष्ट्रीय कथाकार मनुश्री जी महाराज (रतनगढ़ वाले) ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा तारणहार है जो जीव श्रीमद्भागवत की शरण में आता है श्रीमद् भागवत कथा उसे कृतार्थ कर देती हैं। 

भावना में भाव नहीं तो भावना बेकार है और भावना में भाव है तो भव से बेड़ा पार है

मनुश्री महाराज ने कहा कि भगवान केवल भाव के भूखे हैं जो भी भक्त भगवान को भाव से पुकारता है भगवान उनके घर दौड़े चले आते हैं। जिस प्रकार विदुर जी ने भगवान को भाव से पुकारा तो भगवान उनके घर पहुंच गए और उनके घर साग-रोटी खाए। भगवान कभी भी किसी की वस्तु को नहीं देखते भगवान केवल भक्तों के भाव को देखते हैं।

उन्होंने बताया कि भावना में भाव नहीं तो भावना बेकार है और भावना में भाव है तो भव से बेड़ा पार है। भगवान की भक्ति करने की कोई उम्र नहीं होती जैसे ध्रुव जी की आयु 5 वर्ष की थी। जब उन्होंने भगवान की भक्ति की तो स्वयं भगवान उनको दर्शन देने के लिए गए। भगवान को पाने की तीन सीढ़ियां है श्रद्धा, विश्वास और समर्पण। इसी प्रकार मनुष्य के बिगड़ने के चार साधन है पहला सुंदर रूप का होना, दूसरा युवावस्था का होना, तीसरा ज्यादा संपत्ति का होना और चौथा ऊंचा पद मिल जाना। इन चारों चीजों के साथ यदि विवेक नहीं है तो निश्चित रूप से वह व्यक्ति अनर्थ किए बिना नहीं रह सकता। यदि विवेक है तो यह चारों चीजें भी व्यक्ति का कुछ नहीं बिगाड़ सकती।  

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श्रीमद् भागवत कथा में श्रोतागण

 

कलयुग में भव से पार उतरने के लिए सत्संग करना जरूरी है

उन्होंने बताया कि जो विवेक है वह सत्संग से प्राप्त होता है इसलिए व्यक्ति को संतों का संग करना चाहिए। महाराज ने बताया कि कलयुग में भव से पार उतरने के लिए सत्संग करना जरूरी है। सत्संग का मतलब ढोलक चिमटा बजाना नहीं है। सत्संग का मतलब सत्य पर चलना सत्य का साथ देना और पूरे परिवार को जोड़ कर रखना है। हर रोज अपने परिवार के साथ के साथ सत्संग करना चाहिए। पूरे परिवार को इकट्ठा करके विचार करना चाहिए। आज दिन में हमने क्या गलती की और उन गलतियों को अगले दिन सुधारना चाहिए। इसी का नाम सत्संग है। 

 भगवान का नाम बहुत मीठा है

महाराज जी ने बताया कि भगवान कपिल ने अपनी माता देवहुति को नवधा भक्ति का उपदेश दिया एवं हमें किस प्रकार से भगवान से जुड़ना चाहिए, किस प्रकार से भगवान की भक्ति करनी चाहिए यह अपनी मां  को भगवान कपिल ने बताया। उसके बाद महाराजश्री ने राजऋषि भरत का चरित्र सुनाया और साथ ही साथ अजामिल प्रसंग सुनाते हुए कहा कि  अजामिल नामक उस ब्राह्मण की नारायण नाम से मुक्ति हो गई। इसलिए आप अपने बच्चों का अच्छा नाम रखे। भगवान का नाम बहुत मीठा है। अगर हम भगवान की शरण में जाते हैं, भगवान का नाम गाते हैं, तो हमको परम गति की प्राप्ति होती है।

गुरुवार को कथा के दौरान श्री कृष्ण जन्मोत्सव नंद भवन महोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाएगा। आज श्रीमद् भागवत कथा के दौरान राकेश शर्मा, के.पी. मिश्रा, संजय शर्मा, नीरज शर्मा,  संतोष तिवारी, धीरज शर्मा, मनोज तिवारी,  बबलू शुक्ला एवं जयराम यादव सहित भारी संख्या में भक्तजन उपस्थित थे। महाराज जी दोपहर 1 से 4 बजे तक श्रीमद् भागवत कथा एवं रात्रि 8:00 से 10 बजे तक नानी बाई का मायरा सभी भक्तों को सुना रहे हैं। 

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