राजकोट: कोरोना के बाद एक प्रोफेसर 4 महीने से कोमा में, घर की स्थिति दयनीय

राजकोट: कोरोना के बाद एक प्रोफेसर 4 महीने से कोमा में, घर की स्थिति दयनीय

पिछले 100 दिनों से अधिक समय से कोमा में है राकेश

कोरोना महामारी के दौरान देशभर में कई परिवार तबाह हो गए। लगभग हर इंसान आर्थिक रूप से बहुत प्रभावित हुआ है तो बहुत से परिवार पर बीमारी ने उससे भी बुरा असर दिखाया है। ऐसे में राजकोट में एक परिवार के सभी सदस्य पिछले 4 महीने से लगातार आंसू बहा रहे हैं। इस परिवार का मुखिया पिछले 100 दिनों से कोमा में है। परिजनों का कहना है कि कोरोना होने के बाद मोभी कोमा में चले गए है।
जानकारी के मुताबिक राकेश वाघासिया अपने परिवार के साथ राजकोट के कोठारिया रोड पर रहते हैं। राकेश के परिवार में पत्नी समेत एक बेटा और एक बेटी है। राकेश एक निजी कॉलेज में प्रोफेसर हैं और उन्हें अप्रैल में कोरोना हो गया था। अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी हालत बिगड़ने पर वेंटिलेटर पर रखे जाने के बाद वह कोमा में चले गए। अब राकेश पिछले 100 दिनों से कोमा में हैं। घरवालों की मोभी का ऐसा हाल देख आंखों से आंसू नहीं सूख रहे हैं।
(Photo Credit : gujaratsamachar.com)
आपको बता दें कि परिवार के अन्य सदस्यों ने राकेश की स्थिति की जानकारी मायके गयी गर्भवती पत्नी को नहीं दी, लेकिन जब उसके ससुर राकेश से मिलने आए तो अपने दामाद की हालत देखकर उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। राकेश की पत्नी ने इस अपार दुख के बीच एक बच्चे को जन्म दिया राकेश इस खुशी का भी अनुभव नहीं कर सका। जानकारी के अनुसार राकेश दो महीने से अस्पताल में थे जिससे उनके परिवार वालों को भी आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा। हालांकि राकेश के रिश्तेदारों ने भी उनके परिवार की आर्थिक मदद की है। पिछले दो महीने से अस्पताल में इलाज कराने के बावजूद राकेश की तबीयत में कोई बदलाव नहीं आया है। अब बीते 2 महीने से उनका घर पर इलाज चल रहा है। परिवार भी आज आर्थिक संकट से जूझ रहा है।
आपको बता दें कि राकेश भले ही कोमा में थे, उन्हें उनके कॉलेज से अब तक आधा वेतन दिया जाता था लेकिन अब वह भी बंद हो गया है। पिता की छोटी बेटी रोज राकेश को जगाने का प्रयत्न करती है लेकिन  चार महीने हो चुके है पिता अब तक नहीं उठा। राकेश की चार साल की बेटी अपने पिता के साथ रहती है। वह कहती है कि अगर वह अभी नहीं बोलेगे तो वो फिर कभी उनसे बात नहीं करेंगी। बेटी तीन महीने से राकेश के पेट पर खेल रही है। उसे उम्मीद है कि एक दिन उसके पिता उसके साथ खेलने आएंगे। इन दृश्यों को देखकर परिवार के अन्य सदस्यों की आंखों में आंसू आ जाते हैं।