अहमदाबाद : तो क्या इस चुनाव में मुख्यमंत्री की कुर्सी का रास्ता ‘रिक्शा’ से होगा तय?

अहमदाबाद : तो क्या इस चुनाव में मुख्यमंत्री की कुर्सी का रास्ता ‘रिक्शा’ से होगा तय?

राजनैतिक दलों को रिक्शा चालकों की हैं तलाश, आसानी से हो जाता है प्रचार

गुजरात में जल्द ही चुनाव होना है। हालांकि अभी चुनावों की तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है पर राज्य में चुनावी माहौल है। राज्य के रिक्शा चालक इस चुनाव में राजनीतिक दलों के प्रचार में काफी मदद कर रहे हैं। अहमदाबाद के कोने-कोने तक पहुंचने वाले रिक्शाचालकों को राजनीतिक दल अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं।


आपको बता दें कि कुछ ही दिनों में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होने जा रहा है। और तमाम राजनीतिक दल जोरदार प्रचार में लगे हुए हैं। ऐसा लगता है कि राजनीतिक दल चौबीसों घंटे टॉप गियर में काम कर रहे हैं। इस बार पहली बार चुनाव प्रचार में रिक्शा का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो रहा है। चुनाव आते ही प्रचार के नए-नए तरीके सुर्खियों में आ जाते हैं, लेकिन इस बार रिक्शा और रिक्शा चलाने वालों का खूब प्रचार हो रहा है। गुजरात में ऐसा पहली बार देखने को मिला है।

प्रचार का सबसे बड़ा जरिया बना रिक्शा


भाजपा हो, कांग्रेस हो, आम आदमी पार्टी हो या अन्य राजनीतिक दल, हर कोई शहरों और गांवों के हर नुक्कड़ के जानकार रिक्शा चालकों की तलाश में है। इस बारे में एक रिक्शा चालक ने बताया कि राजनीतिक दलों के पोस्टर चिपकाने से कुछ हासिल नहीं होता, लेकिन कोई भी पार्टी रिक्शा में माइक्रोफोन लगाकर प्रचार करती है। तो चालक को एक दिन में एक हजार रुपये मिलते हैं। राजनीतिक नतीजों में कौन बाजी मारेगा और कौन नहीं यह तो वक्त ही बताएगा। लेकिन चुनाव तक रिक्शाचालकों की आमदनी का जरिया पक्का हो गया है। यानी भाई नेताओं के मुकाबले शहरों में रिक्शा वालों की डिमांड ज्यादा है।

रिक्शा की राह पर ही जीती जाएगी जंग


 आपको बता दें कि इस बार चुनाव में रिक्शा इतना अहम हो चुका है कि आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल अहमदाबाद आए और रिक्शा में सफर किया। और रिक्शा चालक ने भी घर पर खाना खाया। जहां से उनकी रिक्शा की राजनीति शुरू हुई। लेकिन आम आदमी पार्टी रिक्शा चालकों को इतना महत्व क्यों देती है? कारण यह है कि पहले दिल्ली और फिर पंजाब में भी आम आदमी पार्टी ने रिक्शा चालकों को विशेष महत्व देकर उनका दिल जीतने की कोशिश की। और यह प्रयास सफल रहा।

हजारों लोगों तक एक हजार रुपए में विज्ञापन


पार्टी के अनुसार, रिक्शा चालक पार्टी के सच्चे प्रचारक साबित हो सकते हैं क्योंकि उनका शहरी मतदाताओं से सीधा और अंतरंग संपर्क होता है। यात्रा के दौरान वे रिक्शा में बैठे यात्रियों को अपना राजनीतिक झुकाव भी दिखाते हैं। साथ ही, चूंकि अधिकांश रिक्शा चालक समाज के पिछड़े वर्ग के हैं, इसलिए पिछड़े समूह को भी अप्रत्यक्ष रूप से निशाना बनाया जा सकता है। लेकिन जब गुजरात की सियासत दिन-ब-दिन बदल रही है, तो समय ही बताएगा कि रिक्शा से गुजरात के गांधीनगर पहुंचने की राजनीतिक पार्टी की कोशिश कितनी कामयाब होती है।