सूरत : जिले के 9 तहसिलों में 105 तलाटी के पद रिक्त, एक तलाटी को चार से अधिक गांवों का प्रभार

सूरत  :  जिले के 9 तहसिलों में 105 तलाटी के पद रिक्त, एक तलाटी को चार से अधिक गांवों का प्रभार

प्रत्येक तलाटी के पास चार गांवों का चार्ज होने से ग्रामीण लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है

जिले में तलाटी मंत्री की कमी को दूर करने की दर्शन नायक ने की मांग
सूरत जिले की 566 ग्राम पंचायतों में लंबित मांगों को लेकर तलाटी महामंडल की ओर से 2 अगस्त से राज्यव्यापी हड़ताल शुरू कर दी गई है। तलाटी रैंक के 427 मंत्रियों के स्वीकृत निकाय में से 322 पद भरे जा रहे हैं जबकि 105 ग्राम पंचायतों के प्रभारी तलाटियों से काम चलाया जा रहा है।
गौरतलब है कि राज्य सरकार शिक्षित बेरोजगारों को रोजगार देने की बात कर रही है, लेकिन आश्चर्य की बात है कि मांडवी तालुक के एक तलाटी मंत्री को 6 ग्राम पंचायतों और 16 गांवों का प्रशासन  सौंपा गया है। ऊपर से विस्तार अधिकारी के रूप में भी अतिरिक्त कार्य का भार शीर पर रखा गया है। यह केवल एक तलाटी रैंक का मंत्री है, लेकिन कई तलाटी रैंक के मंत्री होंगे जो काम के बोझ के कारण मानसिक तनाव से पीड़ित होने के लिए जाने जाते हैं। एक तरफ सरकार रिक्त पदो पर नियुक्ती नहीं करती है दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों का काम समय पर नहीं होता यह भी एक ठोस तथ्य है। 
पूर्व विपक्षी नेता और जिला पंचायत के सदस्य तथा सहकारिता नेता दर्शन नायक ने एक प्रेस बयान में कहा है कि सूरत जिले में 566 ग्राम पंचायतें हैं। ग्राम पंचायतों के प्रशासन को सुचारू और लोगों के लिए उपयोगी बनाने के लिए तलाटी मंत्री जिले में स्वीकृत 427 तलाटी कम मंत्रियों के मान्य पदों के सामने केवल 322 पद भरे हुए हैं जबकि तलाटी के 105 पद लंबे समय से खाली हैं।  जिसका मतलब है कि जिले में कई ग्राम पंचायतें हैं स्वतंत्र तलाटी रैंक के मंत्री नहीं हैं, प्रत्येक तलाटी को दो-तीन या चार-चार गांवों का प्रभार सौंपा जाता है। जिसके कारण किसी भी गांव के लोग उदाहरण के लिए, पंचायत, राजस्व, जाति, प्रशासन, कृषि से संबंधित कार्य नहीं किया जाता है । समय पर कार्य नही  होने के कारण लोगों को बार-बार परेशानी का सामना करना पड़ रहा है और लोगों का काम आसानी से नहीं हो रहा है।  सूरत जिले के नौ तालुकों में से मांडवी, मांगरोड, महुवा, उमरपाड़ा जैसे तालुका आदिवासी बेल्ट वाले तालुका हैं। ‌इन तालुका में तलाटी मंत्री के रिक्त पद होने से कोई कार्यक्रम घोषित नहीं किया गया है । वर्तमान में कार्यरत तलाटी मंत्री भी अत्यधिक मानसिक तनाव में हैं। भारी काम के बोझ से दबे एक से अधिक गांवों के प्रभारी और गांवों और जिले भर में ऊपर से चरवाहों को उदाहरण देते हुए भी ऐसे चरवाहों के जानवरों की मौत या अन्य में सरकारी मुआवजे के मामले में तलाटीयों के सिर पर रोक लगा दी गई है। सरकारी योजनाएं  ऋण सहायता प्रदान करने की प्रक्रिया ग्राम पंचायत स्तर से ही की जानी चाहिए, लेकिन दुर्भाग्य से, जहां पर्याप्त कर्मचारी नहीं हैं, वहां लोगों की सहायता कौन करेगा..? साथ ही विभिन्न लंबित मांगों को लेकर प्रदेश भर के तलातियों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की है। आज पांच दिन से तलाटियों की हड़ताल के बावजूद सरकार इस पर एक भी शब्द बोलने को तैयार नहीं है।  ग्रामीण जनता का मुदद्दा है जिसे कांग्रेस महासचिव दर्शन नायक ने उठाया है। 
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