सूरत : भंगार बेचने वाले का बेटा गरीब बच्चों के लिए बना प्रेरणारूप

सूरत  : भंगार बेचने वाले का बेटा गरीब बच्चों के लिए बना प्रेरणारूप

सनराईज विद्यालय डिंडोली का छात्र "धीरज मंसाराम वाडिले कक्षा-12 (मराठी माध्यम)के परिणाम में 82.14 प्रतिशत (ए2) रैंक प्राप्त किया

लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।" इस कहावत को इस छात्र ने चरितार्थ कर दिया है। सूरत के सनराईज विद्यालय डिंडोली का छात्र "धीरज मंसाराम वाडिले" कक्षा-12 कॉमर्स में पढ़ता था। आज 4 जून को घोषित हुए कक्षा-12 (मराठी माध्यम)के परिणाम  में 82.14 प्रतिशत (ए2)और  पीआर-94.70  प्राप्त करके माता-पिता ,माली समाज और सनराईज विद्यालय का नाम रोशन किया है। 
धीरज के साथ बात करके पता चला कि वह रोज 14 से 15 घंटे बहुत लगन और मेहनत से पढ़ाई करता था। घर में भौतिक सुविधाओं की कमी के कारण वह वाचनालय में भी पढ़ाई करने जाता था। इस प्रकार उसने कड़ी मेहनत करके यह अंक प्राप्त किये है।  
धीरज के पिता "मंसाराम नामदेव वाडिले" भंगार को बेचने का काम करते हैं। हर महीने वह सिर्फ दस हजार कमाते हैं। माता सुरेखादेवी एक कुशल गृहिणी है। धीरज अन्य गरीब छात्रों के लिए प्रेरणारूप एक उत्तम उदाहरण है। अन्य छात्रों को उससे प्रेरणा  लेनी चाहिए। धीरज ने  माता-पिता,पूरे माली परिवार और विद्यालय का नाम रोशन किया है। उस पर सभी को बहुत गर्व है। धीरज की इस उपलब्धि पर विद्यालय परिवार एवं समाज के अग्रणियों ने शुभकामनाएं प्रेषित की है।  
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