
सूरत : महज आठ साल की उम्र में भौतिक संसार को त्याग कर दीक्षा लेगी ये अहमदाबाद की बच्ची
By Loktej
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कोरोना काल में स्कूल बंद होने के समय वह जैन भिक्षुओं के साथ रहने के बाद आठ वर्षित आंगी ने लिया बड़ा फैसला
जिस उम्र में बच्चे चंचल होते हैं, दिन भर मस्ती करते रहते हैं, पढ़ाई और खेल के बीच रहते हैं उस उम्र यानी आठ वर्षीय आंगी बागरेच ने उसके जीवन के लिए एक ऐसा निर्णय लिया है जो कई लोगों को आश्चर्यचकित कर सकता है। रविवार को अहमदाबाद की लड़की सूरत में एक समारोह में भौतिकवादी दुनिया को त्याग कर संन्यास की राह पर चलेगी। माना जाता है कि वह दीक्षा लेने वाली सबसे कम उम्र की लड़की थीं।
बता दे कई आंगी ने कक्षा 2 तक पढ़ाई की है। कोविड-प्रेरित लॉकडाउन के दौरान जब उसका स्कूल बंद रहा तब वह जैन भिक्षुओं के साथ रहने लगी। इस अवधि के दौरान, आंगी भिक्षुओं की अनुशासित जीवन शैली से प्रेरित थीं, जो सख्त नियमों और सिद्धांतों के भीतर जीवन जीते हैं। कुछ समय बाद, भिक्षुओं ने पाया कि बच्चा भिक्षुणी की जिम्मेदारियों को निभा सकता है। “उसके गुरुओं ने उसकी परीक्षा ली और उन्होंने उसे साधु बनने के योग्य पाया। उसने लगभग दो साल भिक्षुओं के साथ बिताए और अब वह संन्यासी जीवन व्यतीत करेगी।
आपको बता दें कि आंगी के पिता दिनेश के अनुसार, वे सभी उसे दीक्षा लेने की अनुमति देने के लिए तभी सहमत हुए जब उन्हें यह पक्का हो गया कि आंगी को भौतिक संपत्ति से कोई लगाव नहीं है। “उसने मोबाइल फोन, कीमती उपहार और कपड़े लेने से इनकार कर दिया। करीब पांच महीने पहले वह दीक्षा की मांग को लेकर नौ दिन के अनशन पर बैठी थीं आंगी के परिवार में पिता के अलावा उनकी मां संगीता और बहन नायरा (6) शामिल हैं। वर्तमान में अहमदाबाद के शाहीबाग में रहने वाला ये परिवार राजस्थान के गढ़ सिवाना का रहने वाला है और पिछले कुछ सालों से अहमदाबाद में बसा हुआ है। दिनेश पहले एक कपड़ा दुकान में काम करता था लेकिन दिल की बीमारी के कारण उसने नौकरी छोड़ दी।
आंगी विजय हेमप्रभा सुरीस्वरजी के मार्गदर्शन में दीक्षा लेंगी। शनिवार को उनका वर्षा दान वर्गोदो का आयोजन किया गया था, जिसमें उनके परिवार, रिश्तेदार और समुदाय के लोग मौजूद थे। कार्यक्रम पाल के श्रीराम पवनभूमि में होगा।
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