सूरत : मिलावटखोरी के खिलाफ अनोखा उपाय , बढ़ा 'होममेड घारी' का चलन

सूरत की गृहणियाँ बनीं आत्मनिर्भर — त्योहार की मिठास बनी शुद्धता की मिसाल

सूरत : मिलावटखोरी के खिलाफ अनोखा उपाय , बढ़ा 'होममेड घारी' का चलन

सूरत। चांदनी पड़वा जैसे मीठे त्योहार की तैयारियाँ जोरों पर हैं, लेकिन नकली घी, मावा और मेवों में मिलावट के बढ़ते मामलों ने सूरतवासियों की चिंता बढ़ा दी है। त्योहार की मिठास को बरकरार रखने और मिलावट से बचने के लिए अब सूरत के लोग घर में बनी घारी को प्राथमिकता दे रहे हैं।

घारी के पारंपरिक स्वाद को बनाए रखने के लिए अब शहरभर में होममेड घारी का ट्रेंड तेजी से फैल रहा है। एक ओर यह चलन सूरतवासियों को मिलावटमुक्त मिठाई का भरोसा दे रहा है, वहीं दूसरी ओर कई महिलाओं के लिए स्वरोज़गार और आत्मनिर्भरता का नया अवसर भी बन गया है।

शैलेश कपाड़िया बताते हैं कि वे पहले ट्यूशन क्लासेस चलाते थे, लेकिन कोरोना काल में क्लास बंद होने के बाद उन्होंने पत्नी के साथ मिलकर घारी बनाना शुरू किया। "हम खुद शुद्ध घी और मावा लेकर घारी बनाते हैं, इसलिए ग्राहकों को भरोसा रहता है। त्योहारों के दौरान अब ऑर्डर की बाढ़ आ जाती है," वे कहते हैं।

इसी तरह राघा खिचड़वाला बताती हैं, “पहले मैं सामान्य मिठाइयाँ बनाती थी, लेकिन लोगों की माँग बढ़ने पर अब विशेष रूप से घर पर घारी बनाती हूँ। हर ग्राहक की पसंद के अनुसार स्वाद और सामग्री तय की जाती है।”

योगिताबेन, जो पिछले तीन साल से घर पर घारी बना रही हैं, कहती हैं — “बाजार की मिलावट से बचने के लिए हम खुद सामग्री की शुद्धता पर ध्यान देते हैं। हमारे ग्राहक बार-बार ऑर्डर देते हैं क्योंकि उन्हें भरोसा होता है कि हमारी घारी पूरी तरह शुद्ध है।”

इस नए चलन ने न केवल सूरत के मिठाई बाजार में एक नई दिशा दी है, बल्कि यह मिलावटखोरी के खिलाफ जनता का आत्मनिर्भर जवाब भी बन गया है। सूरत की गृहणियाँ अब अपने कौशल के बल पर आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं और त्योहार की असली मिठास — “शुद्धता और विश्वास” — सूरत के हर घर तक पहुँचा रही हैं।

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