सूरत : तापी नदी 941 करोड़ की लागत से पारंपरिक बैराज परियोजना को स्थायी समिति की मंजुरी

सूरत : तापी नदी  941 करोड़ की लागत से पारंपरिक बैराज परियोजना को स्थायी समिति की मंजुरी

पारंपरिक बैराज परियोजना को 4 साल में पूरा करने का निर्णय, पारंपरिक बैराज परियोजना को तीन चरणों में पूरा किया जाएगा

बैराज को 100 साल के डेटा संग्रह के बाद डिजाइन किया गया था, बैराज में 60 लंबवत संचालित गेट होंगे
सूरत नगर निगम द्वारा लगातार विकास कार्य किए जा रहे हैं। स्थायी समिति की बैठक में मंगलवार एक अहम फैसला लिया गया है। महानगरपालिका तापी नदी पर एक और पुल बनने का निर्णय लिया है। तापी नदी पर पारंपरिक बैराज परियोजना को अगले चार वर्षों में पूरा किया जायेगा। यह नई कनेक्टिविटी 941 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से बनाई जाएगी जो सूरत के विकास के लिए महत्वपूर्ण बनी रहे।
तापी नदी पर पारंपरिक बैराज बनाने के लिए 17 अक्टूबर 2020 को सूरत नगर निगम के अधिकारियों और गांधीनगर के अधिकारियों के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक हुई थी। जिसमें तापी नदी पर और एक कनेक्टीविटी के लिए पुल सहित महत्वपूर्ण चर्चा हुई थी ।  गांधीनगर में हुई बैठक में बैराज के डिजाइन को लेकर भी फैसला लिया गया था बैराज का डिजाइन पिछले 100 वर्षों में एकत्र किए गए आंकड़ों पर आधारित है। आज स्थायी समिति की बैठक में पारंपरिक बैराज परियोजना को मंजूरी दी गई है।
रुंढ और भाठा के बीच 1036 मीटर का बैराज बनाया जाएगा। जिसमें 60 वर्टिकल ऑपरेटेड गेट होंगे। जिसमें एक गेट 15/7 मीटर का गेट होगा और उसमें डेढ़ मीटर पानी होगा।  राहुल राज मॉल से 760 मीटर का फ्लाईओवर बनेगा। इसके बाद 1036 मीटर का बैराज होगा और फिर भाठा तक करीब 2100 मीटर डिटेरिंग वॉल बनाकर भाटा की 60 मीटर सड़क को जोड़ा जाएगा। जिससे पलसाना हाइवे नंबर 48 और हजीरा हाईवे नंबर 53 को सूरत के भाठा 60 मीटर रोड से जोड़ा जाएगा जो डुमस रोड से होकर गुजरेगा। 
पहले चरण में प्रत्येक प्रकार के सर्वेक्षण का संचालन, रिपोर्ट और अनुमोदन प्राप्त किया जाएगा। दूसरे चरण में निर्माण पूरा कर लिया जाएगा। तीसरे चरण में साढ़े तीन से चार साल में काम पूरा कर ओएनएम तय किया जाएगा।
स्थायी समिति के अध्यक्ष परेश पटेल ने कहा कि तापी नदी पर नए पारंपरिक बैराज के निर्माण को मंजूरी मिल गई है। सूरत शहर के लिए एक और कनेक्टिविटी सृजित की जाएगी। इस पारंपरिक बैराज का निर्माण पलसाना, हजीरा और सूरत के अन्य हिस्सों को जोड़कर किया जाएगा। चार साल की अवधि में काम पूरा होने की उम्मीद है। सूरत के लोगों के लिए यह नई कनेक्टिविटी बनाने की दिशा में यह एक और कदम है। तापी नदी पर यह परंपरागत बैराज परियोजना उसी तरह आकार लेने जा रही है जैसे नगर में नए बुनियादी ढांचे को लेकर निगम की ओर से अहम फैसले लिए जा रहे हैं। बैराज का डिजाइन वर्ष 2020 में गांधीनगर में आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में तय किया गया था।

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