सूरत : ऑटो चालक ने पेश की ईमानदारी की मिसाल, विधवा को 2.40 लाख रुपये से भरा बैग लौटाया

सूरत : ऑटो चालक ने पेश की ईमानदारी की मिसाल, विधवा को 2.40 लाख रुपये से भरा बैग लौटाया

महिला ने कहा कि वह पेंशन के पैसे से पति के सपनों का घर बनाने के लिए रुपये निकाल कर घर जा रही थी

सूरत में भटार और उधना दरवाजा के बीच रिक्शा की सीट के पीछे से मिली एक यात्री के 2.40 लाख नकद से भरे बैग  एक रिक्शा चालक ने पुलिस के साथ विधवा को लौटातक  ईमानदारी की मिसाल पेश की।  रिक्शा चालक अशोक सुदाम खराडे ने बताया कि उनके दो कमाने वाले बेटे और एक बेटी है। रुपये की दैनिक आय के साथ दो जून की रोट चल रही है तो बेईमानी क्यों करुं?  पीड़िता ने कहा कि मुझे रुपये मिलने की कोई उम्मीद नहीं थी। वह पति के सपनों का घर बनाने के लिए पेंशन के पैसे निकालकर घर जा रही थी। रिक्शे से बाहर निकलने के बाद उसने महसूस किया कि उसके हाथ में बैग नहीं है, जिससे आंखें  भर आई। लेकिन, ईमानदार रिक्शावाले ने सामने से फोन किया और कहा, "बहन, मेरे पास तुम्हारी कीमती चीज है, चिंता मत करो।"
आरएस पटेल (पीएसआई खटोदरा, डी स्टाफ) ने बताया कि करीब एक बजे एक विधवा महिला थाने आई और शिकायत की कि वह एक रिक्शा में 2.40 लाख रुपये से भरा बैग भूल गई है। उन्होंने तुरंत मौके का दौरा किया और वहां के सीसीटीवी कैमरे और कंट्रोल रुम के सीसीटीवी कैमरे चेक किए और रिक्शा का नंबर हासिल किया।  रिक्शा चालक भाई के घर गया तो पड़ोसी ने कहा कि वह एक यात्री को पैसे वापस करने  थाने गये हैं। हमारी चिंताएं दूर हो गईं और जब हम थाने पहुंचे तो रिक्शा चालक ने सारी बात बताई। सिर्फ 2 घंटे में, विधवा बहन को पैसे से भरा बैग मिल गया। बहुत खुश, पुलिस के अपने करियर में ऐसे रिक्शा चालक से मिलकर बहुत खुशी हुई।
मधुबेन पटेल (निवासी- डिंडोली महादेव नगर) मेरे दिवंगत पति फायर में कंट्रोल जमादार के पद पर कार्यरत थे। मैं उनकी मृत्यु के बाद दो बेटों और एक बेटी के साथ रह रहा हूं। मेरे पति की एक ही ख्वाहिश थी अपने सपनों का घर बनाने की। सोमवार को भटार से बैंक ऑफ बडौदा से उनके पेंशन के 2.40 लाख रुपये निकाल कर डिंडोली जाने के लिए रिक्शा में बैठी थी। उधना  दरवाजा उतरने पर पता चला कि रिक्शा की सीट के पीछे रुपयों से भरा थैला पड़ा भूल गई तो होश उड़ गये। वह फौरन थाने पहुंचे तो  पुलिस अधिकारी हरकत में आ गये। आखिर में रिक्शा वाले  भाई ने फोन किया और कहा, "बहन, मेरे पास तुम्हारा कीमती सामान है।  थाने आओ और ले लो। मैं भगवान से प्रार्थना करता हूं कि वह उसे लंबा जीवन प्रदान करे और पूरे परिवार के साथ हमेशा खुशहाल रहे।"
रिक्शा चालक अशोक सुदाम खराडे  ने कहा, "साहेब अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए जीवन भर रिक्शा चलाते रहे हैं। उन्होंने अपने दो बेटों और एक बेटी को पढ़ाया लिखाया है। घर पहुंचने पर पता चला कि रिक्शा की पिछली सीट पर एक बैग था और जब मैंने उसे खोला तो उसमें 500 के चार बंडल थे। कुछ कागज बाकी सामान था। बस कागज से एक मोबाइल नंबर मिला और फोन किया, मेरी बहन थी जो मेरी यात्री थी। घरवालों से बात कर बड़ी खुशी हुई पापा, चलो बैग दे देते हैं, बस थाने बुलाकर साहेब की मौजूदगी में पैसे और बैग दिए, सम्मान मिला, इतनी दुआ की कि लगा कि 2.40 लाख नहीं बल्कि 2 करोड़ मिले, पुलिस ने सम्मानित किया, उसका नाम उसकी अच्छी दोस्त की डायरी में लिखकर इससे बड़ी रकम नहीं मिल सकती।
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