सूरत : कच्चे माल और श्रम दरों में वृद्धि से पतंग-धागों की कीमतों में 25% की बढ़ोतरी

सूरत :  कच्चे माल और श्रम दरों में वृद्धि से पतंग-धागों की कीमतों में 25% की बढ़ोतरी

पतंग बाजार में उत्तरायण से पहले निकली खरीदी

डबगरवाड़ के व्यापारियों ने कहा कि थोक की ग्राहकी अच्छी निकली है 
उत्तरायण पर्व के अब कुछ दिन ही बचे हैं। सरकार की गाइडलाइन  भी सार्वजनिक कर दिया गया है। तभी पतंग उड़ाने वालों ने अवकाशी युद्ध की तैयारी शुरू कर दी। सूरत के सालों पुराने डबगरवाड़ बाजार में पतंगों के दाम सामान्य से 20 से 25 फीसदी ज्यादा बढ़ गए हैं। कच्चे माल और कारीगरों के श्रम में वृद्धि के कारण पतंग और धागे की कीमत बढ़ी है। कोरोना का असर महंगाई पर भी पड़ने की संभावना है। व्यापारी कह रहे हैं कि थोक ग्राहकी अच्छी निकली है, जिससे खुदरा ग्राहकी भी अच्छी निकलने के आसार हैं। 
भीषण महंगाई की आग त्योहारों को भी छू रही है। पता चला है कि पतंग उड़ाने वालों के लिए पतंग उड़ाना अधिक महंगा होगा क्योंकि इस साल पतंग-धागे की कीमतें मकर राशि से पहले आसमान छू गई हैं। जिससे आम मध्यम वर्ग के लिए उत्तरायण में पतंगबाजी का मजा लेना महंगा होगा। फिलहाल शहर में पतंग-स्टाल की दुकानें शुरू हो गई हैं, लेकिन इस साल पतंग के दाम में 25 फीसदी का इजाफा हुआ है। वर्तमान में पतंगें हर साल की तुलना में महंगी हैं।
डबरवाड़ के एक व्यापारी राजेशभाई ने कहा, "मैं 50 साल से कारोबार कर रहा हूं। बाजार में नई पतंग खरीदने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है। बाजार में छोटी-बड़ी, सस्ती और महंगी हर तरह की पतंगें उपलब्ध हैं। बाजार में सबसे महंगी पतंग पांच पीस 1500 रुपये में बिक रही है। 20 प्लास्टिक पतंग की कीमत 50 रुपये है। इसी के साथ सबसे महंगी धागा दो हजार रुपये में 15 हजार वार बिक रही है।
राजेशभाई ने कहा कि कोई खास नया चलन नहीं है। बाजार में छोटी से लेकर बड़ी और सस्ती पतंगें उपलब्ध हैं। इस साल उत्तरायण पर्व में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फिल्म कलाकारों की पतंग नजर आ रहे हैं। उत्तरायण पर्व के अब गिनती के दिन बचे हैं। उस समय बाजार में कई तरह की पतंगें मौजूद  हैं। इस बार कई समुदायों को संदेश देने के लिए पतंगें बनाई गई हैं, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कोरोना वायरस और इसके एहतियाती उपाय, साथ ही नशामुक्त  और सीडीएस बिपिन रावत अमर रहो के नारे भी शामिल हैं।
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