सूरत : कपड़ा उद्योग की नवाचारी दिशा,  विशेषज्ञों ने सुझाए वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ने के उपाय

'विकसित हो रहे वस्त्र पारिस्थितिकी तंत्र में नवाचार और भविष्य की संभावनाओं' विषय पर संगोष्ठी आयोजित

सूरत : कपड़ा उद्योग की नवाचारी दिशा,  विशेषज्ञों ने सुझाए वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ने के उपाय

सूरत। दक्षिण गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, श्री सुरती मोढ वाणिक समस्त पंच और सूरत टेक्सटाइल क्लब द्वारा संयुक्त रूप से पाल, अडाजण स्थित वाड़ी में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। विषय था  ‘विकसित होते वस्त्र पारिस्थितिकी तंत्र में वस्त्र नवाचारों और मार्गों के भविष्य की बुनाई’। कार्यक्रम में सूरत के प्रमुख कपड़ा उद्योगपतियों ने भाग लिया और विशेषज्ञों से उद्योग की भावी दिशा पर गहन जानकारी प्राप्त की।

इस अवसर पर चैंबर के तत्कालीन पूर्व अध्यक्ष विजय मेवावाला (गारमेंट और फैब्रिक विशेषज्ञ), पूर्व अध्यक्ष आशीष गुजराती (होम फर्निशिंग विशेषज्ञ) और हरेश कलकत्तावाला (ई-कॉमर्स विशेषज्ञ) ने महत्वपूर्ण जानकारी साझा की।

चैंबर अध्यक्ष निखिल मद्रासी ने कहा कि दक्षिण गुजरात देश की कपड़ा आवश्यकताओं की पूर्ति करता है और आर्थिक वृद्धि में योगदान देता है। बदलते वैश्विक परिप्रेक्ष्य में तकनीक, डिजिटलीकरण, एआई और सस्टेनेबिलिटी को अपनाना आवश्यक है। उद्योग को अब उत्पादन से आगे बढ़कर मूल्य श्रृंखला के हर स्तर पर अपनी भूमिका निभानी होगी, जिसमें निर्यात योग्य परिधान बनाना भी शामिल है।

विजय मेवावाला ने बताया कि सूरत में डेढ़ लाख हाईटेक बुनाई मशीनें, कढ़ाई और डिजिटल प्रिंटिंग यूनिट्स हैं। उन्होंने रंगाई घरों को उन्नत करने और उच्च गुणवत्ता वाले कच्चे माल पर ध्यान देने की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि कपड़ा उद्योग को लाभ तभी मिलेगा जब वे मूल्य संवर्धन कर निर्यात योग्य परिधान बनाएंगे।

आशीष गुजराती ने बताया कि एमएमएफ (मैन-मेड फाइबर) टेक्सटाइल का निर्यात अमेरिका को 29.2%, जर्मनी को 4.8%, यूके को 4.6% और यूएई को 3.8% होता है। उन्होंने वर्ष 2030 तक एमएमएफ टेक्सटाइल के जरिए 6.2 लाख लोगों को रोजगार देने की संभावना जताई। उन्होंने बुने व गैर-बुने वस्त्रों, घरेलू वस्त्रों और मेडअप्स में बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने की दिशा सुझाई। उन्होंने सूरत में यार्न से लेकर गारमेंट तक की सम्पूर्ण श्रृंखला विकसित करने और टिकाऊ वस्त्र निर्माण पर भी बल दिया।

हरेश कलकत्तावाला ने बताया कि वैश्विक ई-कॉमर्स में 35 से 38% तक योगदान है, लेकिन सूरत का इसमें मात्र 27% हिस्सा है। उन्होंने ब्रांडिंग की अहमियत बताते हुए कहा कि जब तक ब्रांड नहीं बनेगा, तब तक उपभोक्ता का विश्वास नहीं बन पाएगा। उन्होंने उदाहरण दिया कि 'ज़ारा' जैसी ब्रांड सूरत के कपड़े को दस गुना कीमत में बेचती है। उन्होंने कहा कि कम पूंजी में बड़ा मुनाफा तभी संभव है जब ब्रांड, गुणवत्ता और निरंतरता का संयोजन हो।

इस संगोष्ठी के सफल आयोजन में श्री सुरती मोढ़ वणिक समस्त पंच के अध्यक्ष धर्मेश तमाकुवाला, द सूरत टेक्सटाइल क्लब के अध्यक्ष मुकेश मनीलावाला, चैंबर के पूर्व अध्यक्ष हिमांशु बोडावाला, दिलीप चश्मावाला, अरविंद कपाड़िया, रोहित मेहता तथा द सूरत पीपुल्स को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड के अध्यक्ष अमित गज्जर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

यह संगोष्ठी न केवल ज्ञानवर्धक रही, बल्कि सूरत के वस्त्र उद्योग के भविष्य के लिए दिशा-निर्देश भी प्रस्तुत कर गई।

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