सूरत : मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए बाधारूप ६४ संपत्तियों का डिमोलिशन

सूरत :  मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए बाधारूप  ६४  संपत्तियों का डिमोलिशन

सूरत मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए बाधारूप २३ दुकाने और ४१ मकानों का डिमोलिशन किया गया, यह संपत्ती डिस्ट्रीक्ट सेन्टर के आरक्षित जगह पर बने थे इस लिए वैक्लपीक आवास नही देने पर मामला गरमाया था

मेट्रो परियोजना के कारण तोड़-फोड़ का काम किया गया
सूरत शहर के भागल इलाके में अंग्रेजों के जमाने की काफी पुरानी संपत्तियां हैं। इलाके में कई परिवार और दुकानें हैं लेकिन मेट्रो प्रोजेक्ट के चलते इलाके में डिमोलिशन का काम करना पड़ रहा है। अंडरग्राऊन्ड मेट्रो स्टेशन भी इसी क्षेत्र में बनने जा रहा है जिसके कारण कुछ संपत्तियों को गिराने की प्रक्रिया निगम द्वारा की गई है । लोग अपने घरों और रोजगार से वंचित होने का विरोध कर रहे हैं। अधिकारी जैसे ही ड़िमोलीशन को अंजाम देने पहुंचे, लोग जमा हो गए और चिल्लाने लगे कि हम मर जाएंगे लेकिन जगह नहीं देंगे। भागल सूरत का बेहद व्यस्त और पुराना इलाका है। यहां कई परिवारों का गुजारा भी होता है। लेकिन जिस तरह से मेट्रो प्रोजेक्ट शुरू हुआ है, उसे शहर के अलग-अलग हिस्सों में बड़े-छोटे तोड़-फोड़ का काम करने को मजबूर होना पड़ा है। ऐसे में भागल मोची की चाल में दुकानों और रिहायशी मकानों को तोड़ा गया। स्थानीय लोगों ने निगम अधिकारियों के खिलाफ प्रदर्शन किया। कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं होने के बाद भी तोड़फोड़ की प्रक्रिया को लेकर काफी आक्रोश है। इंदिराबेन पांचाल ने कहा, "हम डिमोलिशन कार्य के कारण मुश्किल में हैं।" इन सभी मामलों को हमने कोर्ट में भी पेश किया है। 2013 में हमें मुआवजे की पेशकश की गई लेकिन कोई मुआवजा या वैकल्पिक आवास नहीं मिला। दूसरी जगह होने पर भी निगम हमें परेशान करता दिख रहा है। एक तरफ मेट्रो प्रोजेक्ट को पूरा करने की मुहिम चल रही है तो दूसरी तरफ लोग अपनी मांगों का लगातार विरोध कर रहे हैं।  
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