सूरत पारसी समाज की बेबसी; पारंपरिक रूप से अंतिम विधि की जगह हो रहा शवों का अग्निसंस्कार

सूरत पारसी समाज की बेबसी; पारंपरिक रूप से अंतिम विधि की जगह हो रहा शवों का अग्निसंस्कार

पारसी समाज पार्थिव देह को वल्चर पक्षी के हवाले करते हैं, कोरोना से अब तक 50 पारसी की हो चुकी है मौत

कोरोना के कारण हर तरह के सामाजिक रीत रिवाजों में बदलाव आने लगे है। शादी हो या अंतिमविधि अब हर जगह कोरोना के कारण कई तरह के बदलाव किए जा रहे है। धूमधाम से मनाए जाने वाले त्योहारों और मेलों में भी अब कोरोना का छाया दिखने लगा है। ऐसे में अब पारसी समाज भी अंतिमविधि के अपने सदियों पुरानी परंपरा को छोड़ने को मजबूर हुआ है। पारसी समाज द्वारा व्यक्ति की मृत्यु के बाद पार्थिव देह को वल्चर पक्षी को देने की परंपरा थी। पर अब वह अपनी इस परंपरा को छोडकर पार्थिव देह का अग्नि संस्कार करने को मजबूर हुये है। 
सूरत में पारसी समाज के लगभग ढाई से तीन हजार लोग रहते है। कोरोना काल में कई लोग कोरोना का भोग बने थे। जिसके चलते पारसी समाज की चिंता बढ़ी हुई है। हालांकि इन सभी के बाद पारसी समाज में मृत्यु के बाद की अपनी अंतिमविधि की परंपरा भंग करने को मजबूर हुआ है। पर देश में बढ़ते हुये कोरोना के संक्रमण के कारण सरकार द्वारा सभी मृतदेहों को कोविड गाइडलाइन के अनुसार सभी मृतदेहों को अग्निदाह देने का निर्देश दिया गया है। 
पारसी समाज के सीनियर सिटीजन और मशहूर नाट्यकार पद्मश्री यझदी करंजीया ने बताया की समाज के लोग कोरोना के कारण संक्रमित हो रही है। पर हमे हमेशा  कुदरत के आधीन ही रहना पड़ता है। परंपरा इंसान ने बनाई है, पर अंत में सब कुछ कुदरत के हाथ में ही होता है। बता दे की पारसी समाज अपने समाज के मृत व्यक्तियों के पार्थिव देह कुएं में रख देते है। जाहन गीध पक्षी आकार उन्हें ग्रहण करते है। पारसी समाज के लोग मानते है की उनकी अंतिमविधि दुनिया के अन्य तमाम समाज के मुक़ाबले अधिक पर्यावरणलक्षी है।