
गुजरात में आज से लागू होगा लव जिहाद का कानून, उल्लंघन करने पर हो सकती है भारी सजा
By Loktej
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वडोदरा सहित कई इलाकों से सामने आ रहे थे लवजिहाद के कई किस्से, भाजपा विधायकों ने की थी पेशकश
गुजरात में आज से लव जिहाद के कानून का अमल शुरू कर दिया गया है। जिसके चलते अब किसी भी तरह से लालच देकर या जबरदस्ती धर्मपरिवर्तन नहीं करवा सकेगे। पिछले साल विधानसभा के मॉनसून सीजन में गुजरात धर्म स्वातंत्र्य संशोधित अधिनियम को पेश किया था, जिसे सीएम द्वारा 15 जून से अमली करने का निर्णया लिया गया था। इसके तहत यदि मात्र धर्म परिवर्तन के हेतु से की हुई शादी को भी फेमिली कोर्ट द्वारा रद्द किया जा सकेगा। नए नियमों के अनुसार, इस तरह के किस भी कार्य में मदद करने वाला या सलाह करने वाला भी उतना ही दोषित माना जाएगा। जिसके तहत उन्हें चार से लेकर सात साल तक की कैद के अलावा तीन लाख तक का दंड भी हो सकता है।
बता दे कि गुजरात में वडोदरा सहित अन्य कई इलाकों में जबर्दस्ती शादी करवाकर धर्म परिवर्तन करवाये जाने के कई किस्से सामने आ रहे थे। जिसके चलते भाजपा के कई विधायकों ने गुजरात में भी उत्तरप्रदेश कि तरह ही गुजरात में भी लव जिहाद का कानून लाने की पेशकश की थी। बता दे की साल 2009 से ही यह शब्द काफी प्रचलित हुआ था। जब केरल और कर्णाटक से यह शब्द राष्ट्रिय स्तर पर गुंजा। साल 2009 में तिरुवन्तपुरम में श्रीराम सेना ने लव जिहाद के खिलाफ पोस्टर्स लगाए थे।
ओक्टोबर 2009 में कर्णाटक सरकार ने लव जिहाद को एक गंभीर मुद्दा बताते हुये सीआईडी जांच के आदेश दिये थे। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में एनआईए से जांच करवाई थी। जब एक हिन्दू युवती ने अपने मुस्लिम प्रेमी के साथ शादी करने के लिए मुस्लिम धर्म अपना लिया था। इस मामले में युवती के पिता ने अपनी युवक द्वारा युवती को आतंकी संगठन में शामिल किए होने का आरोप लगाया गया था। हालांकि जांच में कुछ भी सामने नहीं आया और युवती ने सुप्रीम कोर्ट में जाकर अपनी प्रेम कहानी बताई थी।
इस कानून के तरह स्त्री पक्ष के तरफ से उसके परिवार का कोई भी सदस्य शिकायत दर्ज कर सकता है। जिसकी जांच में जिला पुलिस के अध्यक्ष और डीवाईएसपी द्वारा की जाएगी। जिसमें 3 से 10 साल की सजा, 5 लाख का दंड हो सकता है। लवजिहाद बिल में आरोपी के सामने 5 साल की कैद और 2 लाख का दंड और यदि लड़की नाबालिग हुई तो ऐसे केस में सात साल की जेल और 3 साल की सजा हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी किस भी तरह की लालच, दबाव उयर अन्य किसी भी तरह से यदि धर्म-परिवर्तन करवाया जाए तो उसे व्यक्ति के कोंशियन्स के अधिकारों का उल्लंघन माना है।
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