सूरत : बाल्यकाल से ही बच्चों को रामकथा और संस्कृति से जोड़ना आवश्यक: संत कृपाराम महाराज
सूरत में चल रही श्रीराम कथा के पंचम दिवस पर बाल श्रीराम की लीलाओं का भावपूर्ण वर्णन, तुलसी पूजन का दिया संदेश
शहर में संत श्री कृपाराम महाराज के मुखारविंद से प्रवाहित हो रही श्रीराम कथा के पंचम दिवस पर भक्तिमय वातावरण देखने को मिला। कथा के दौरान बाल श्रीराम की दिव्य लीलाओं का भावपूर्ण वर्णन किया गया, जिसे सुनकर श्रद्धालु भाव-विभोर हो उठे।
कथा प्रसंग में संत कृपाराम महाराज ने बताया कि बाल श्रीराम के दर्शन के लिए स्वयं भगवान शिव अयोध्या पधारे थे। इस प्रसंग के माध्यम से उन्होंने बाल स्वरूप श्रीराम की महिमा और दिव्यता को उजागर किया।
इस अवसर पर संत कृपाराम महाराज ने समाज को संदेश देते हुए कहा, “क्रिसमस नहीं, तुलसी पूजन दिवस मनाएँ” और भारतीय संस्कृति को अपनाने व बढ़ावा देने का आह्वान किया। कथा स्थल पर तुलसी माता का विधिवत पूजन कर आरती भी की गई। उन्होंने कहा कि तुलसी पूजन हमारे संस्कारों से जुड़ा हुआ है और यह आने वाली पीढ़ी को धर्म व संस्कृति से जोड़ने का सशक्त माध्यम है।
संत कृपाराम महाराज ने विशेष रूप से माताओं से आग्रह किया कि बच्चों में संस्कारों का बीजारोपण माँ के माध्यम से ही संभव है। इसलिए बाल्यकाल से ही बच्चों को रामकथा, भक्ति और भारतीय संस्कृति से जोड़ना चाहिए। श्रीराम कथा के पंचम दिवस पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे और कथा श्रवण कर धर्मलाभ प्राप्त किया।
