सूरत : कोयलड़ी सामूहिक विवाह का भावुक दूसरा दिन, 56 बेटियों की विदाई
हर बेटी के सिर पर हाथ रखकर महेश सवाणी ने निभाया पिता का फर्ज, आंसुओं और आशीर्वाद से भरा मंडप
सूरत। पी.पी. सवाणी परिवार के आंगन में हर साल आयोजित होने वाला बिना पिता की छत्रछाया खो चुकी बेटियों का भव्य सामूहिक विवाह समारोह भावनाओं के शिखर पर पहुंच गया।
दूसरे दिन, समाज के अनेक गणमान्य व्यक्तियों और पदाधिकारियों की मौजूदगी में 56 नवविवाहित बेटियों की विदाई के दौरान मंडप भावुक दृश्यों का साक्षी बना। हर बेटी के सिर पर हाथ रखकर महेशभाई सवाणी ने एक पिता की तरह अपनापन दिया और शादी के बाद भी उनकी सभी जिम्मेदारियां निभाने का भरोसा दिलाया।
पी.पी. सवाणी परिवार की ओर से स्वागत भाषण में महेशभाई सवाणी ने बताया कि कोयलड़ी सामूहिक विवाह में विवाह कर रही 133 दुल्हनों में से करीब 90 प्रतिशत ऐसी हैं, जिनके परिवार में न पिता हैं और न ही भाई।
अलग-अलग जातियों, समाजों और क्षेत्रों की बेटियां एक ही मांडवे में विवाह कर अपने नए जीवन की शुरुआत कर रही हैं। उन्होंने कहा कि बेटियों के चयन के लिए स्पष्ट मापदंड तय किए गए हैं, जिसमें सबसे पहले बिना पिता वाली और फिर बिना भाई वाली बेटियों को प्राथमिकता दी जाती है।

आज के विवाह समारोह में 56 बेटियों ने सात फेरे लिए। कार्यक्रम की शुरुआत 16 बहनों द्वारा दीप प्रज्वलन से हुई, जिन्होंने अपने परिवार के सदस्यों के अंगदान की सहमति दी थी। सूरत में सक्रिय जीवनदीप अंगदान संगठन ने इस अवसर पर विवाह स्थल पर भी अंगदान को लेकर जागरूकता गतिविधियां आयोजित कीं।
रविवार देर शाम जब विवाह गीतों की गूंज विदाई की धुन में बदली, तो मंडप में भावनाओं का सैलाब उमड़ पड़ा। बेटियां मां, बहनों और परिजनों से गले मिलकर फूट-फूटकर रोने लगीं। जब वे अपने पालक पिता महेशभाई सवाणी के पास पहुंचीं, तो भावनात्मक बंधन टूट गए। बेटी और पिता—दोनों की आंखों से आंसू छलक पड़े। महेशभाई हर मांडवे तक पहुंचे, हर बेटी के सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिया और पिता होने का स्नेह जताया।
सास ने तुलसी देकर बहू को अपनाया
माहियारा की रस्म से पहले, सास ने तुलसी का पौधा भेंट कर बहू का स्वागत किया। यह सिर्फ एक रस्म नहीं, बल्कि बहू को पूरे सम्मान और जिम्मेदारी के साथ अपनाने का प्रतीक था। “तुलसी नो क्यारो” कही जाने वाली बेटियों को सास ने हाथ पकड़कर मंडप तक पहुंचाया—यह दृश्य समारोह का विशेष आकर्षण रहा।
पिता, बेटे और बेटियों की किताबों का विमोचन
इस अवसर पर प्रसिद्ध लेखक-वक्ता शैलेशभाई सगपरिया द्वारा लिखित श्री वल्लभभाई सवाणी की जीवनी ‘आरोहण’, डॉ. जितेंद्र अढिया द्वारा लिखित महेशभाई सवाणी की जीवनी ‘प्रेरणामूर्ति’ और बिना पिता वाली बेटियों के भावनात्मक पत्रों पर आधारित पुस्तक ‘कोयलड़ी’ का विमोचन किया गया। एक ही मंच पर पिता, पुत्र और बेटियों की भावनाओं को समेटती पुस्तकों का एक साथ विमोचन दुर्लभ और प्रेरणादायी क्षण बना।
