वडोदरा : मुनि सेवा आश्रम में सोलर एनर्जी से बनेगा 2000 लोगों का भोजन

गोरज में स्थापित हुई दुनिया की सबसे ऊंची, सात मंज़िला पूरी तरह ऑटोमैटिक सोलर डिश

वडोदरा : मुनि सेवा आश्रम में सोलर एनर्जी से बनेगा 2000 लोगों का भोजन

 आत्मनिर्भर भारत और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में वडोदरा के गोरज स्थित मुनि सेवा आश्रम में दुनिया की सबसे बड़ी और अत्याधुनिक सोलर डिश को सफलतापूर्वक शुरू कर दिया गया है। इस सोलर टेक्नोलॉजी के माध्यम से अब आश्रम में प्रतिदिन लगभग 2000 लोगों के लिए भोजन तैयार किया जाएगा, वह भी पूरी तरह सोलर एनर्जी के उपयोग से।

अब तक मुनि सेवा आश्रम में रोज़ाना लगभग 1000 किलोग्राम लकड़ी का उपयोग खाना पकाने के लिए किया जाता था, जिससे न केवल खर्च अधिक होता था बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचता था। सोलर डिश के शुरू होने से लकड़ी का उपयोग पूरी तरह बंद हो जाएगा, जिससे कार्बन उत्सर्जन में भारी कमी आएगी और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा।

मुनि सेवा आश्रम के डॉ. विक्रमभाई ने बताया कि यह सोलर डिश कम जगह में स्थापित की जा सकती है, जिससे अस्पताल जैसी संस्थाओं के लिए यह तकनीक बेहद उपयोगी है। आश्रम के अस्पताल में लगभग 100 टन क्षमता वाला एयर कंडीशनिंग प्लांट भी इसी सोलर स्टीम टेक्नोलॉजी से संचालित किया जाएगा। पहले जहां एयर कंडीशनिंग सिस्टम बिजली और गैस पर आधारित था, अब वह भाप आधारित होगा, जिससे गैस का उपयोग बंद हो जाएगा और प्रदूषण भी नहीं होगा।

उन्होंने बताया कि इस स्टीम टेक्नोलॉजी का उपयोग केवल भोजन बनाने तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि अस्पताल में कपड़े धोने, स्टेरिलाइजेशन, गर्म पानी और अन्य आवश्यक कार्यों के लिए भी किया जाएगा। फिलहाल आश्रम में ऐसी दो सोलर डिश स्थापित की गई हैं, जिससे लंबे समय में संस्था को बड़ा आर्थिक लाभ होगा और भविष्य में और भी सुविधाओं का विकास संभव हो सकेगा।

इस एडवांस टेक्नोलॉजी को भारत में विकसित करने वाले दीपक गढ़िया ने बताया कि यह तकनीक मूल रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विज़न को साकार करने के उद्देश्य से ऑस्ट्रेलिया से प्रेरित होकर लाई गई थी, लेकिन अब इसका पूरा निर्माण और विकास भारत में ही किया गया है। यह दुनिया की सबसे बड़ी सोलर डिश है, जिसे ऑस्ट्रेलिया के बाहर पहली बार भारत में तैयार किया गया है।

‘सोलर कंसंट्रेटर’ कहलाने वाली यह डिश सूर्य की किरणों को केंद्रित कर अत्यधिक तापमान उत्पन्न करती है, जिससे सोलर बॉयलर के जरिए भाप तैयार की जाती है। एक सोलर डिश से 100 टन एयर कंडीशनिंग चलाई जा सकती है। गोरज में दो डिश चालू होने से कुल 200 टन की क्षमता प्राप्त की गई है। इस डिश में लगभग 300 छोटे शीशे लगे हैं, जो सूर्य की किरणों को एक बिंदु पर केंद्रित कर करीब 1700 डिग्री सेल्सियस तक तापमान उत्पन्न करते हैं।

करीब सात मंज़िला ऊंची यह सोलर डिश पूरी तरह स्वचालित है। कंट्रोल रूम से केवल स्थान के अक्षांश की जानकारी देने पर सॉफ्टवेयर सूर्य की गति के अनुसार डिश को स्वतः घुमाता है और भाप के तापमान व दबाव को नियंत्रित करता है। तेज़ हवा की स्थिति में यह सिस्टम अपने आप बंद हो जाता है, जिससे किसी प्रकार का नुकसान न हो। यह प्रणाली आईबीआर से अनुमोदित है और इसके संचालन के लिए केवल निगरानी की आवश्यकता होती है।

इस महत्वपूर्ण परियोजना के लिए रोटरी क्लब ऑफ बॉम्बे पियर द्वारा 1.6 करोड़ रुपये का योगदान दिया गया है। यह तकनीक मुनि सेवा आश्रम, रोटरी क्लब और अपार केबल कंपनी की सीएसआर फंडिंग के सहयोग से विकसित की गई है, जो न केवल आश्रम बल्कि पूरे देश के लिए ऊर्जा और पर्यावरण के क्षेत्र में एक प्रेरणादायक मॉडल साबित होगी।

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