सूरत : भगवान श्रीकृष्ण ने गोकुलवासियों को कालिया नाग के भय से मुक्त किया : संदीप महाराज
श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन भगवान की बाल लीलाओं का भावपूर्ण वर्णन
श्री राधे मित्र मंडल, देलाडवा गांव, डिंडोली (सूरत) द्वारा साउथ इंडियन स्कूल के सामने आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में गुरुवार, 18 दिसंबर को पांचवें दिन कथावाचन करते हुए कथावाचक संदीप महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण की दिव्य बाल लीलाओं का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने गोकुलवासियों को कालिया नाग के भय से मुक्त कर उन्हें अभय प्रदान किया।
संदीप महाराज ने बताया कि गोकुल में भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव को छह माह तक हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। जब-जब धर्म की हानि होती है और अधर्मी असुरों का अत्याचार बढ़ता है, तब-तब गौ, ब्राह्मण और संतों की रक्षा के लिए भगवान इस धरती पर अवतार लेते हैं।
उन्होंने पूतना वध की कथा का वर्णन करते हुए बताया कि जब भगवान मात्र छह दिन के थे, तब कंस के आदेश पर पूतना नामक राक्षसी उन्हें विषैले स्तनों से दूध पिलाने आई, लेकिन भगवान ने उसका दूध ही नहीं, बल्कि उसके प्राण भी हर लिए और उसे मोक्ष प्रदान किया। इसके पश्चात भगवान ने तृणावर्त जैसे अनेक दुष्टों का संहार कर भक्तों की रक्षा की।

महाराज ने बताया कि जब यशोदा मैया ने भगवान को मिट्टी खाते देखा और मुख खोलने को कहा, तब भगवान ने अपने मुख में संपूर्ण ब्रह्मांड के दर्शन कराए, जिससे माता यशोदा को उनके ईश्वर स्वरूप का आभास हुआ।
उन्होंने कालिया नाग की कथा का भी सुंदर वर्णन किया। यमुना तट पर कन्दुक क्रीड़ा के दौरान श्रीदामा की गेंद यमुना में गिरने के बहाने भगवान यमुना में कूद पड़े और कालिया नाग के फन पर नृत्य कर उसे परास्त किया। इसके बाद कालिया नाग को रमणक द्वीप भेजकर यमुना को विषमुक्त किया।
कथा में माखन चोरी, गोपाष्टमी पर गाय चराने से गोपाल नाम प्राप्त होना, सखाओं के साथ वनभोजन तथा इंद्र पूजा बंद कर गिरिराज पर्वत की पूजा कराने की प्रसंगों का भी वर्णन किया गया। संदीप महाराज ने कहा कि भगवान कर्म सिद्धांत में विश्वास रखते हैं और वही फल देते हैं जो कर्म किए जाते हैं। अंत में गिरिराज पूजन एवं छप्पन भोग का प्रसंग सुनकर श्रद्धालु भावविभोर हो गए।
