वडोदरा की अनु सिंह राजपूत बनीं मेंस्ट्रुअल हाइजीन की आवाज़, पीरियड्स से जुड़े टैबू तोड़ने में जुटीं
अपनी कमाई से बांट रहीं फ्री सैनिटरी नैपकिन, झुग्गी-झोपड़ियों और स्कूलों में चला रहीं जागरूकता अभियान
पीरियड्स को लेकर समाज में फैली गलत धारणाओं और चुप्पी को तोड़ने के लिए वडोदरा की अनु सिंह राजपूत एक प्रेरणादायी मुहिम चला रही हैं। महिलाओं और टीनएजर्स में मेंस्ट्रुअल हाइजीन को लेकर जागरूकता फैलाने के साथ-साथ वह अपनी कमाई का एक हिस्सा जरूरतमंद महिलाओं को फ्री सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध कराने में खर्च कर रही हैं।
अनु सिंह राजपूत ने यह पहल तब शुरू की, जब उन्होंने अपने आसपास देखा कि कई महिलाएं और किशोरियां जानकारी की कमी या आर्थिक मजबूरी के कारण असुरक्षित और अनहाइजीनिक तरीकों का इस्तेमाल कर रही हैं। इसी सोच को बदलने के उद्देश्य से उन्होंने सबसे पहले अपनी मित्रों और स्थानीय महिलाओं से संवाद शुरू किया, समूह चर्चाएं आयोजित कीं और पीरियड्स की साफ-सफाई से जुड़े शैक्षणिक पैम्फलेट बांटे।
आज वह स्कूलों, झुग्गी-झोपड़ियों, ओवरब्रिज के नीचे, रेलवे प्लेटफॉर्म के आसपास और सेल्फ-हेल्प ग्रुप्स में वर्कशॉप आयोजित करती हैं। इन सत्रों में वह सैनिटरी पैड के सही उपयोग, पीरियड्स के दौरान व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखने और कचरे के सुरक्षित निपटान की जानकारी देती हैं। इसके साथ ही वह सस्टेनेबल विकल्पों जैसे दोबारा इस्तेमाल होने वाले कपड़े के पैड और मेंस्ट्रुअल कप को भी प्रोत्साहित करती हैं।
इस अभियान को लेकर अनु कहती हैं, “पीरियड्स कोई टैबू सब्जेक्ट नहीं है, यह एक नेचुरल प्रोसेस है। अगर महिलाएं सही हाइजीन नहीं रखतीं, तो इसका असर न सिर्फ उनकी सेहत पर बल्कि आत्मविश्वास पर भी पड़ता है। मैं चाहती हूं कि हर लड़की पीरियड्स को सुरक्षित तरीके से और पूरी जानकारी के साथ समझे।”
अनु सिंह राजपूत ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2018 में मेंस्ट्रुअल हाइजीन पर जागरूकता का काम शुरू किया था और 2020 से विशेष रूप से झुग्गी-झोपड़ियों व वंचित इलाकों में महिलाओं और टीनएजर्स के साथ काम कर रही हैं। अब तक वह 12 वर्ष से अधिक आयु के 600 से ज्यादा लोगों को पर्सनल और मेंस्ट्रुअल हाइजीन के बारे में जागरूक कर चुकी हैं। इसके लिए उन्होंने ‘अनुभूति चैरिटेबल ट्रस्ट’ की भी स्थापना की है, ताकि काम को और व्यवस्थित व पारदर्शी तरीके से आगे बढ़ाया जा सके।
अनु अपनी मासिक आय का हिस्सा जनऔषधि सुविधा के सैनिटरी नैपकिन खरीदने में खर्च करती हैं और इन्हें उन महिलाओं में वितरित करती हैं, जो इन्हें खरीदने में सक्षम नहीं हैं। साथ ही वह सही डिस्पोज़ल के तरीकों की जानकारी भी देती हैं।
मेंस्ट्रुअल हाइजीन के अलावा अनु महिलाओं की सुरक्षा पर भी काम कर रही हैं। वह अस्पतालों, सरकारी कार्यालयों और अन्य संस्थानों में कार्यरत महिलाओं को सेल्फ-डिफेंस ट्रेनिंग देती हैं। अपने सहयोगी मयूर चौहान के साथ मिलकर वह ‘गुड टच-बैड टच’ और महिलाओं से जुड़े अन्य संवेदनशील मुद्दों पर भी जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करती हैं।
मेंस्ट्रुअल हाइजीन पर अनु सिंह राजपूत की यह पहल न केवल महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण साबित हो रही है, बल्कि समाज में जागरूकता और सम्मान की भावना को भी मजबूत कर रही है। उनके प्रयास यह संदेश दे रहे हैं कि सही जानकारी और संवेदनशीलता से महिलाओं का भविष्य अधिक स्वस्थ और सुरक्षित बनाया जा सकता है।
