वडोदरा : चेतनाबेन चौहान बनीं महिला सशक्तिकरण की मिसाल

नौकरी छोड़ घरेलू उद्योग शुरू किया, स्वदेशी उत्पादों से हर साल 30–35 लाख का टर्नओवर

वडोदरा : चेतनाबेन चौहान बनीं महिला सशक्तिकरण की मिसाल

महिला सशक्तिकरण और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में वडोदरा शहर की चेतनाबेन चौहान ने एक प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत किया है। निजी नौकरी छोड़कर घरेलू उद्योग की शुरुआत करने वाली चेतनाबेन ने पारंपरिक तरीकों से शुद्ध तेल और वैल्यू-एडेड खाद्य उत्पाद तैयार कर न केवल आत्मनिर्भरता हासिल की, बल्कि स्वदेशी अभियान को भी सशक्त बनाया है।

B.Ed तक शिक्षित चेतनाबेन चौहान ने परिवार और बच्चों की देखभाल के लिए नौकरी छोड़ने के बाद अपने सपनों को साकार करने का साहसिक निर्णय लिया। कोरोना काल के बाद स्वास्थ्य के प्रति बढ़ी जागरूकता और समाज के लिए कुछ अच्छा करने की भावना ने उन्हें फूड प्रोसेसिंग क्षेत्र में कदम रखने के लिए प्रेरित किया। परिवार के सहयोग से उन्होंने वर्ष 2022 में पारंपरिक घानी पद्धति से तेल निकालने की मशीन खरीदी और शुद्ध तेल का उत्पादन शुरू किया, जिसकी गुणवत्ता के कारण उत्पाद जल्द ही लोकप्रिय हो गया।

वर्ष 2023 में भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘प्राइम मिनिस्टर्स फॉर्मलाइजेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइजेज’ (PMFME) के तहत 10 लाख रुपये तक की लोन-लिंक्ड सब्सिडी का लाभ लेकर उन्होंने चार मशीनें खरीदीं और ‘विश्वास फूड्स’ नाम से ब्रांडिंग की दिशा में कदम बढ़ाया। सरसों तेल से शुरू हुआ यह सफर आज मूंगफली, तिल, नारियल, अलसी सहित कुल नौ प्रकार के तेलों तक पहुंच चुका है।

बाजार में शुद्ध और ऑर्गेनिक उत्पादों की बढ़ती मांग को देखते हुए चेतनाबेन ने कचरिया, मावा चिक्की, खजूरपाक, अड़िया पाक और गुंदर पाक जैसे वैल्यू-एडेड खाद्य उत्पादों का निर्माण भी शुरू किया। पारंपरिक विधि से बने इन उत्पादों की गुणवत्ता ने उपभोक्ताओं का भरोसा जीता है।

अपने कारोबार के जरिए चेतनाबेन चौहान हर साल करीब 30 से 35 लाख रुपये का टर्नओवर कर रही हैं और लगभग 7 लाख रुपये की शुद्ध आय अर्जित कर रही हैं। उनके उत्पादों की मांग अब वडोदरा के साथ-साथ आणंद, नवसारी, विद्यानगर और भरूच तक पहुंच गई है। सोशल मीडिया और ऑनलाइन ऑर्डर के माध्यम से भी उन्हें लगातार नए ग्राहक मिल रहे हैं।

चेतनाबेन का कहना है कि इस सफलता में परिवार के सहयोग के साथ-साथ केंद्र सरकार की योजनाओं और राज्य सरकार के उद्यान विभाग का बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने बताया कि उनकी उत्पादन इकाई में ग्राहक स्वयं आकर तेल निकालने की प्रक्रिया देख सकते हैं, जिससे पारदर्शिता और विश्वास दोनों बढ़े हैं।

गुजरात सरकार की महिला सशक्तिकरण नीतियों और केंद्र सरकार की योजनाओं से मिल रहे सकारात्मक परिणामों के बीच चेतनाबेन चौहान की यह सफलता कहानी न केवल स्वदेशी अभियान को मजबूती देती है, बल्कि अन्य महिलाओं के लिए आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा भी बन रही है।

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