सूरत : प्रेम प्रकाश आश्रम में सत्संग: गायत्री मंत्र जाप और प्रार्थना के महत्व पर गुरुओं का मार्गदर्शन
पूज्य स्वामी ब्रह्मानंद जी और स्वामी संविदानंद जी महाराज ने साधना व प्रार्थना से आत्मकल्याण का दिया संदेश
प्रेम प्रकाश आश्रम में आयोजित सत्संग के दौरान पूज्य गुरुदेव स्वामी ब्रह्मानंद जी ने भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि इस भौतिक युग में प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन स्नान आदि से शुद्ध होकर भावपूर्वक नित्य गायत्री मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए। उन्होंने बताया कि गायत्री मंत्र की महिमा अनंत है और इसके नियमित जाप से शरीर में पवित्र ऊर्जा का संचार होता है।
स्वामी ब्रह्मानंद जी ने कहा कि गायत्री मंत्र के प्रभाव से शरीर की 72 करोड़ नाड़ियों में शक्ति का संचार होता है, जिससे बुद्धि सात्विक और विवेकशील बनती है। यह ऊर्जा आत्मकल्याण में सहायक होती है तथा तन और मन को निरोग रखती है। उन्होंने चिंता व्यक्त की कि आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग अपने कल्याण के लिए समय नहीं निकाल पा रहे हैं, जबकि संत-महात्मा सत्संग के माध्यम से विभिन्न साधनों द्वारा जीव को प्रेरित करते रहते हैं। उन्होंने सभी से संकल्प लेने का आह्वान किया कि वे प्रतिदिन अपने आत्मकल्याण हेतु समय निकालकर जाप-साधना करें।
सत्संग के पश्चात परम पूज्य स्वामी संविदानंद जी महाराज ने अपने उद्बोधन में कहा कि प्रार्थना अहंकार को मिटाने और अनंत परमात्मा से जुड़ने का एकमात्र सशक्त माध्यम है। उन्होंने कहा कि मनुष्य निरंतर कुछ न कुछ मांगता रहता है, लेकिन यदि प्रार्थना को सही विधि और व्यवस्था के साथ किया जाए तो उससे निश्चित रूप से लाभ और सफलता प्राप्त होती है।
स्वामी संविदानंद जी महाराज ने प्रार्थना की विधि, किससे और क्या प्रार्थना करनी चाहिए—इन विषयों को विधिपूर्वक सीखने की प्रेरणा दी और भक्तों से आग्रह किया कि वे इस विषय में मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए कभी भी सत्संग में आ सकते हैं। इस अवसर पर बड़ी संख्या में भक्तों ने सत्संग का लाभ प्राप्त किया और गुरुओं के संदेशों को अपने जीवन में उतारने का संकल्प लिया।
