सूरत : गुजराती फिल्मों में निवेश के अवसरों पर चैंबर में विशेष सत्र आयोजित

300% बढ़ा गुजराती फिल्म इंडस्ट्री का टर्नओवर; कम से कम ₹4 करोड़ का निवेश ज़रूरी

सूरत : गुजराती फिल्मों में निवेश के अवसरों पर चैंबर में विशेष सत्र आयोजित

सूरत। सदर्न गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (SGCCI) ने मंगलवार, 9 दिसंबर, 2025 को सूरत के सरसाना स्थित समहति हॉल में गुजराती फिल्मों में निवेश के मूल्यवान अवसर विषय पर एक महत्वपूर्ण सत्र का आयोजन किया।

इसमें मशहूर गुजराती फिल्म डायरेक्टर नैतिक रावल और राइटर-फिल्ममेकर  परेश वोरा ने मार्गदर्शन दिया।

चैंबर प्रेसिडेंट निखिल मद्रासी ने स्वागत भाषण में कहा कि गुजराती फिल्मों का शानदार दौर वापस आ गया है, जहाँ अचानक कोई फिल्म ₹100 करोड़ क्लब में शामिल हो जाती है। यह जानना ज़रूरी है कि क्या यह ज्ञानवर्धक सत्र कोई निवेश का अवसर भी प्रदान करता है।

नैतिक रावल (फिल्म डायरेक्टर) ने बताया कि 2010 के बाद, खासकर कोविड के बाद, दर्शक गुजराती फिल्मों की तरफ लौटे हैं, और इस साल गुजराती फिल्मों का टर्नओवर 300% बढ़ा है।

फिल्म बनाना एक बिजनेस है, इसलिए इसमें जोखिम भी है। फिल्म फाइनेंस के मुख्य 4 मॉडल हैं फाइनेंस, स्टूडियो, इक्विटी, और सिंगल प्रोडक्शन।

फिल्म प्रोडक्शन के बारे में उन्हें ही सोचना चाहिए जिनके पास कम से कम ₹4 करोड़ हों। उत्पादन लागत के अलावा मार्केटिंग कॉस्ट भी लगती है।उन्होंने सलाह दी कि एक फिल्म के बजाय दस फिल्मों में निवेश करना बेहतर है। डिस्ट्रीब्यूटर अब पूरी फिल्म नहीं खरीदते, बल्कि फीस या प्रॉफिट शेयरिंग मॉडल अपनाते हैं।

परेश वोरा (राइटर-फिल्ममेकर) ने कहा कि 'लालो' जैसी फिल्में अपवाद हैं, लेकिन धर्मा प्रोडक्शन जैसे बड़े बैनर भी अब गुजराती फिल्में ला रहे हैं।ओटीटी प्लेटफॉर्म हर जगह छाए हुए हैं, लेकिन अब ओटीटी भी बॉक्स ऑफिस देखकर ही प्राइस तय करता है।

परेश वोरा ने यह भी बताया कि गुजरात सरकार जितना प्रोत्साहन फिल्मों को देती है, उतना कोई अन्य राज्य सरकार नहीं देती।

चैंबर के ऑनरेरी ट्रेज़रर सीए मितेश मोदी ने पूरे कार्यक्रम का संचालन किया। सत्र के अंत में दोनों वक्ताओं ने मौजूद युवा कलाकारों और निवेशकों के सवालों के खुलकर जवाब दिए।

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