सूरत : शहर में सर्दियों के मेहमान बने विदेशी पक्षी, लेकिन गलत ‘मेहमाननवाज़ी’ से बढ़ रहा जिंदगी पर खतरा
तापी किनारे उमड़े प्रवासी पक्षियों को लोग खिला रहे हैं फरसाण और मसालेदार स्नैक्स, वन विभाग और पर्यावरण संस्थाओं ने शुरू किया जागरूकता अभियान
सूरत। शहर में सर्दियों की शुरुआत होते ही विदेशी प्रवासी पक्षियों का आगमन शुरू हो गया है। साइबेरिया, रूस, यूरोप, सेंट्रल एशिया और अफ्रीका जैसे ठंडे क्षेत्रों से हजारों किलोमीटर का सफर तय कर ये पक्षी तापी नदी, झीलों और समुद्र किनारे शरण लेते हैं।
लेकिन दुर्भाग्य से सूरतवासियों की अनजानी ‘मेहमाननवाज़ी’ इन नाज़ुक मेहमानों के लिए जानलेवा साबित हो रही है।
सूरत के कई लोग पुण्य कमाने की भावना से पक्षियों को दाना तो खिलाते हैं, लेकिन अक्सर वे घटिया गुणवत्ता वाले मेवे, बीज, फरसाण, खमण, चिप्स और ब्रेड जैसी चीजें डाल देते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार यह खाना पक्षियों के प्राकृतिक आहार से बिल्कुल अलग है और उनके स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है।
वन विभाग और ग्रीन गार्जियन चैरिटेबल ट्रस्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तापी नदी के पुल पर जागरूकता अभियान चलाया। ट्रस्ट के जिग्नेश पटेल ने बताया कि विदेशी पक्षियों का मूल आहार मछली, झींगा और समुद्री कीड़े होते हैं।
इंसानी खाना, वह भी तेल-मसालेदार, उनके पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचाता है, शरीर में पानी की कमी करता है और कई बार उनकी जान तक ले सकता है।
पर्यावरण कार्यकर्ता घनश्याम कथीरिया का कहना है कि खमण-कंदिया जैसी चीजें खिलाने से पक्षी अपनी प्राकृतिक शिकार क्षमता खोने लगते हैं, जिससे उनकी प्रजनन क्षमता पर भी नकारात्मक असर पड़ता है।
वहीं पक्षी विशेषज्ञ रजनीकांत चौहान चेतावनी देते हैं कि तला-नमकीन खाना उड़ान क्षमता कम कर देता है और फूड पॉइज़निंग का खतरा बढ़ा देता है।
उन्होंने यह भी बताया कि बाजार में मिलने वाला पक्षियों का दाना सस्ता होने के कारण अक्सर निम्न गुणवत्ता का होता है, जो उनकी सेहत बिगाड़ सकता है। इसलिए वन विभाग और वेलफेयर संस्थाएं मिलकर नागरिकों को जागरूक कर रही हैं कि विदेशी पक्षियों को केवल चना, अनाज या उनके प्राकृतिक खाने के अनुरूप ही आहार दें।
सूरतवासियों से अपील की गई है कि दया दिखाने की भावना में अनजाने में नुकसान न पहुंचाएं। पक्षियों को वही खाना दें जो उनके लिए सही हो—न कि वह जो इंसान खाते हैं। क्योंकि असली पुण्य तभी है जब इन प्रवासी मेहमानों की जान और प्रकृति का संतुलन सुरक्षित रहे।
