सूरत : शहर में बनेगा भारत का सबसे बड़ा ग्राउंडवाटर प्रोजेक्ट, स्टैंडिंग कमेटी ने बैराज के पहले फ़ेज़ को दी मंज़ूरी
डबल वॉल शीट पाइल के लिए ₹180 करोड़ की अतिरिक्त राशि स्वीकृत; ओलपाड और चोर्यासी के 25 गाँवों को भी मिलेगा सिंचाई का लाभ
सूरत। सूरत नगर पालिका द्वारा तापी नदी पर प्रस्तावित बैराज को स्टैंडिंग कमेटी से मंज़ूरी मिलते ही इसका पहला फ़ेज़ शुरू हो गया है। यह बैराज शहर स्तर पर भारत का सबसे बड़ा ग्राउंडवाटर प्रोजेक्ट बनने जा रहा है।
प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद सूरत शहर के साथ-साथ ओलपाड और चोर्यासी के 25 गांवों में सिंचाई और पीने के पानी की व्यवस्था सुनिश्चित होगी।
CWC द्वारा सुझाए गए नये डिज़ाइन के अनुसार अब पहले से तय मिट्टी के तटबंध की जगह डबल वॉल शीट पाइल कॉफ़र डैम बनाया जाएगा, जिसकी अनुमानित लागत लगभग 180 करोड़ रुपये है। इस अतिरिक्त खर्च को भी स्टैंडिंग कमेटी ने मंज़ूरी दे दी है।
रुंढ–भाठा को जोड़ने वाले पारंपरिक बैराज प्रोजेक्ट का टेंडर 3.5 साल पहले मंज़ूर हुआ था। पहले फ़ेज़ में सभी सरकारी मंज़ूरियों की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है।
सूरत म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ने स्टैंडिंग कमेटी के प्रस्ताव नंबर 605/2022 के तहत यूनिक कंस्ट्रक्शन को 941.71 करोड़ रुपये के आइटम रेट पर काम सौंपा है। इसमें दो साल तक के ऑपरेशन और मेंटेनेंस भी शामिल हैं।
पहले प्रस्तावित मिट्टी के तटबंध वाले कॉफ़र डैम के स्थान पर अब डबल वॉल शीट पाइल कॉफ़र डैम बनेगा। यह पानी के बहाव को बेहतर तरीके से संभालने की क्षमता रखता है और प्रोजेक्ट की सुरक्षा भी बढ़ाता है। डिज़ाइन परिवर्तन के कारण लागत 23.46 करोड़ से बढ़कर 180 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है।
बैराज बनने के बाद तापी नदी में लगभग 10 किलोमीटर लंबी मीठे पानी की झील तैयार होगी, जिसमें 18.73 MCM अतिरिक्त पानी स्टोर किया जा सकेगा। इससे सूरत शहर की 2050 तक की पीने के पानी की जरूरतें पूरी होंगी। अठवा, डुमस, रांदेर, भाठा, अडाजन, उधना, लिंबायत सहित कई इलाकों का ग्राउंडवाटर रिचार्ज होगा, नदी में खारे पानी की एंट्री रुक जाएगी।
मानसून में समुद्र में बहने वाले पानी को संरक्षित किया जा सकेगा। पर्यावरण और शहर की सुंदरता में वृद्धि होगी, शहर में नए रिक्रिएशनल (मनोरंजन) ज़ोन विकसित किए जा सकेंगे।
तापी नदी के दाहिने किनारे बसे 25 गांवों को सिंचाई का लाभ मिलेगा। डामका, वांसवा, लवाछा, आडमोर, भांडूत, सेलुत, खोसदिया, पिंजरत, तेना, मलगामा, जुनागाम, सुवाली, मोरा, राजगरी आदिको इस प्रोजेक्ट से लिफ्ट सिंचाई स्कीम के माध्यम से लाभ होगा।
2365 हेक्टेयर क्षेत्र में धान, ज्वार, बाजरा और सब्जियों जैसी फसलें सींची जा सकेंगी। यह उन गांवों के लिए बड़ी राहत होगी जो उकाई–काकरापार स्कीम से वंचित थे।
प्रोजेक्ट की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार है। अनुमानित लागत 974 करोड़ रुपये, जलाशय की लंबाई10 किलोमीटर, पानी का स्टोरेज 18.73 MCM, डिज़ाइन100 साल के डेटा पर आधारित, बैराज की लंबाई 1020 मीटर, बैराज की चौड़ाई33 मीटर, ब्रिज रोड की लंबाई 3.6 किलोमीटर, गाइड बंड की ऊंचाई 13 मीटर।
अब जबकि प्रोजेक्ट पीने के पानी के साथ-साथ आधिकारिक रूप से सिंचाई प्रोजेक्ट भी बन गया है, राज्य सरकार ने इस योजना को 25% ग्रांट देने की तैयारी दिखाई है। इससे प्रोजेक्ट की आर्थिक व्यवहार्यता और तेज़ी से पूरा होने की संभावनाएँ बढ़ गई हैं।
यह महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट सूरत शहर और आसपास के ग्रामीण इलाकों की दशकों पुरानी पानी की समस्या का स्थायी समाधान साबित होगा और आने वाले वर्षों में क्षेत्र की जल-व्यवस्था को नए स्तर पर ले जाएगा।
