वडोदरा : विकसित भारत के लक्ष्य के लिए सरदार पटेल के आदर्श बेहद आवश्यक: केंद्रीय मंत्री मनसुखभाई मांडविया
सिंधरोट में ‘सरदार@150 राष्ट्रीय एकता पदयात्रा’ के दौरान मंत्री ने सुनाई सरदार और मणिबेन की प्रेरक कहानियाँ
केंद्रीय युवा मामले, खेल, श्रम और रोजगार मंत्री डॉ. मनसुखभाई मांडविया ने कहा कि आज़ादी के सौ वर्ष पूरे होने पर विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरदार पटेल के आदर्शों और उनकी दूरदर्शिता को अपनाना अत्यंत आवश्यक है। वे वडोदरा के सिंधरोट में आयोजित ‘सरदार@150 राष्ट्रीय एकता पदयात्रा’ के अवसर पर हुई सरदार गाथा कार्यक्रम में उपस्थित थे।
उन्होंने कहा कि यह पदयात्रा पूरे देश में एकता, आत्मनिर्भरता और विकसित भारत का सशक्त संदेश दे रही है। देश के 750 जिलों में अब तक 1500 से अधिक एक दिवसीय पदयात्राएँ निकाली जा चुकी हैं, जिनमें सरदार पटेल के योगदान, आज़ादी की लड़ाई में उनकी भूमिका और ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के निर्माण में उनके समर्पण पर चर्चा हो रही है।
डॉ. मांडविया ने सरदार पटेल को ‘एक भारत के आर्किटेक्ट’ के रूप में याद करते हुए कहा कि उन्होंने 562 रियासतों का विलय कर आधुनिक भारत की नींव रखी। तुलना करते हुए उन्होंने कहा कि जहां जर्मनी के बिस्मार्क ने आठ रियासतों को एक किया था, वहीं सरदार पटेल ने 562 रियासतों को एक सूत्र में पिरोकर इतिहास में स्वर्णिम अध्याय लिखा।
उन्होंने कहा कि सरदार पटेल एक आदर्श सत्याग्रही थे। खेड़ा और बारडोली सत्याग्रहों का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि सूखे की मार झेल रहे किसानों से अंग्रेजों द्वारा अत्यधिक कर वसूली के विरोध में सरदार ने किसानों को संगठित किया और अंततः अंग्रेज सरकार को झुकने पर मजबूर कर दिया। इसी संघर्ष के दौरान किसानों ने उन्हें ‘सरदार’ की उपाधि दी।
एक प्रखर प्रशासक के रूप में सरदार पटेल द्वारा अहमदाबाद के मेयर रहते हुए पहली बार नगर नियोजन (टाउन प्लानिंग) लागू किए जाने का भी उल्लेख उन्होंने किया। इस दौरान महात्मा गांधी ने विक्टोरिया गार्डन का नाम बदलकर ‘लोकमान्य तिलक गार्डन’ कर उद्घाटन किया था।
डॉ. मांडविया ने जूनागढ़, हैदराबाद और राधनपुर जैसी रियासतों के विलय में सरदार पटेल की तीव्र निर्णय क्षमता, दूरदर्शिता और त्वरित एक्शन की मिसालें साझा कीं। उन्होंने बताया कि राधनपुर के नवाब को पाकिस्तान में शामिल होने से रोकने के लिए सरदार स्वयं विमान और हेलीकॉप्टर से वहां पहुंचे, वार्ता की और नवाब की आशंकाएँ दूर कर भारत में विलय सुनिश्चित कराया।
उन्होंने सरदार के परिवार के प्रति समर्पण का उल्लेख करते हुए कहा कि सरदार ने अपने भाई विट्ठलभाई को बैरिस्टर की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड भेजने हेतु स्वयं अपने करियर और पारिवारिक जिम्मेदारियों का वहन किया। सरदार की बेटी मणिबेन पटेल के त्याग, समर्पण और अनुशासित जीवन का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि मणिबेन ने अपने पिता की हर ज़िम्मेदारी—अकाउंटिंग, घरेलू कार्यों से लेकर वस्त्र तैयार करने तक—संपूर्ण समर्पण से निभाई।
एक प्रसंग सुनाते हुए डॉ. मांडविया ने बताया कि जब किसी ने सरदार से उनके जब्बा के बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा—“कपड़ा फट सकता है, लेकिन सेवा का अभ्यास और संस्कारों के मूल्य सबसे महत्वपूर्ण हैं।” उन्होंने सरदार पटेल की सादगी और अनुशासन का उल्लेख करते हुए कहा कि जेल में भी उन्होंने सभी नियमों का पालन किया और साथी कैदियों को मातृभूमि के लिए जीने की प्रेरणा दी।
अंत में उन्होंने यह भी बताया कि आज़ादी के बाद अंतरिम सरकार में 17 में से 15 प्रांत सरदार पटेल को प्रधानमंत्री बनाने के पक्ष में थे, परंतु महात्मा गांधी की इच्छा को समझते हुए उन्होंने वह पद जवाहरलाल नेहरू को दिया, जो उनके समर्पण, त्याग और अनुशासित नेतृत्व का सर्वोत्तम उदाहरण है।
