वडोदरा : पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक ने वडोदरा मंडल के तीन कर्मचारियों को संरक्षा पुरस्कार से सम्मानित किया

सतर्कता, संवेदनशीलता और उत्कृष्ट कार्य के लिए रेलकर्मियों को मिला सम्मान; संभावित हादसों को रोककर दिखाई अनुकरणीय जिम्मेदारी

वडोदरा : पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक ने वडोदरा मंडल के तीन कर्मचारियों को संरक्षा पुरस्कार से सम्मानित किया

रेल संचालन में संरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होती है, और इसी जिम्मेदारी को निभाते हुए वडोदरा मंडल के तीन रेलकर्मियों ने अपनी सजगता से संभावित हादसों को टालकर यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की। पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक विवेक कुमार गुप्ता ने इन तीनों कर्मचारियों को अक्टूबर 2025 के दौरान प्रदर्शित सतर्कता और उत्कृष्ट कार्य के लिए संरक्षा पुरस्कार प्रदान किया।

पुरस्कार पाने वाले कर्मचारियों में श्रीमती हेमलता परमार (फिटर-I) ने एक वैगन की जांच के दौरान उसमें टूटा हुआ yoke पाया, जिसे पहले शेंकवेयर प्लेट के कारण ‘सिक’ के रूप में चिह्नित किया गया था। उनकी समय पर की गई कार्रवाई ने एक संभावित बड़ी दुर्घटना को रोक दिया और वैगन संचालन की सुरक्षा सुनिश्चित की।

एस. के. मल्ल रतनसिंह वागलाभाई मुढेल (ट्रेन मैनेजर), वडोदरा ने 11 अक्टूबर 2025 को प्लेटफॉर्म नंबर 6 से ट्रेन रवाना होने के दौरान उन्होंने देखा कि एक यात्री चढ़ते समय फिसलकर कोच और प्लेटफॉर्म के बीच फंस गया। श्री मल्ल ने तुरंत ब्रेक प्रेशर छोड़कर ट्रेन को आपातकालीन रूप से रोका। उनकी त्वरित सूझबूझ और सतर्कता से एक बड़ा हादसा टल गया और यात्री को सुरक्षित बचाया जा सका।

देवांग देसाई (एलपीएम), वडोदरा ने 23 अक्टूबर 2025 को पालनपुर–अहमदाबाद सेक्शन में ट्रेन संख्या 16507 पर प्रधान मुख्य संरक्षा अधिकारी द्वारा किए गए फुट-प्लेट निरीक्षण के दौरान उनकी कार्यशैली और ड्राइविंग तकनीक को उत्कृष्ट पाया गया। संकेतों के सही उपयोग, नियमों के पालन और यात्रा के दौरान अनुशासन के कारण उनकी सराहना की गई।

महाप्रबंधक विवेक कुमार गुप्ता ने कहा कि ये कर्मचारी अपने कर्तव्य को पूर्ण समर्पण और सतर्कता के साथ निभाते हुए अन्य कर्मचारियों के लिए प्रेरणास्रोत बने हैं।

पश्चिम रेलवे ने बताया कि उसे अपने ऐसे कर्मियों पर गर्व है, जो चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी धैर्य और समझदारी के साथ काम करते हुए रेल संचालन की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। यह सम्मान न केवल कर्मचारियों के व्यक्तिगत प्रयासों का प्रतीक है, बल्कि पश्चिम रेलवे की उस संस्कृति का भी द्योतक है जिसमें संरक्षा सर्वोपरि मानी जाती है।

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