वडोदरा : नेचुरल खेती से मिर्च उत्पादन: मिट्टी की उपजाऊ क्षमता और फसल की गुणवत्ता बढ़ाने का टिकाऊ तरीका

बिना केमिकल खाद और पेस्टिसाइड के प्राकृतिक विधियों से तेज़ बढ़वार, बेहतर स्वाद और सुरक्षित फसल

वडोदरा : नेचुरल खेती से मिर्च उत्पादन: मिट्टी की उपजाऊ क्षमता और फसल की गुणवत्ता बढ़ाने का टिकाऊ तरीका

पर्यावरण की रक्षा, मिट्टी की उपजाऊ क्षमता बनाए रखने और रसायन-मुक्त खेती को बढ़ावा देने के लिए नेचुरल खेती आज वडोदरा के किसान समुदाय में तेजी से लोकप्रिय हो रही है। मिर्च की फसल में भी नेचुरल खेती एक प्रभावी और टिकाऊ विकल्प साबित हो रही है। इससे पैदावार अच्छी होती है, पौधे मज़बूत रहते हैं और उत्पादित मिर्च का स्वाद व गुणवत्ता स्वाभाविक रूप से बेहतर होती है।

नेचुरल खेती में सबसे पहला कदम होता है मिट्टी की सही तैयारी। खेत की जुताई के बाद इसमें अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर खाद, बायो-एक्सट्रैक्ट या सॉलिड बायो-एक्सट्रैक्ट जैसी प्राकृतिक खाद मिलाई जाती है। इससे मिट्टी में मौजूद लाभकारी सूक्ष्मजीव सक्रिय होते हैं और मिर्च के पौधों को आवश्यक पोषक तत्व सहज रूप से प्राप्त होते हैं।

बीज चयन में भी स्थानीय और शुद्ध किस्मों को प्राथमिकता दी जाती है। बीज बोने से पहले उन्हें घोल में भिगोकर तैयार किया जाता है, जिससे अंकुरण क्षमता बढ़ती है और बीज जनित रोगों का खतरा कम होता है। नर्सरी में ऑर्गेनिक खाद और मल्च का उपयोग कर पौधे तैयार किए जाते हैं, जो मजबूत बनने पर खेत में रोप दिए जाते हैं।

सिंचाई नेचुरल खेती का महत्वपूर्ण हिस्सा है। मिर्च की फसल को नमी की आवश्यकता होती है, लेकिन यहाँ पानी की अधिक जरूरत नहीं पड़ती। ड्रिप सिंचाई से पौधों की जड़ों को पर्याप्त नमी मिलती है और पानी की बचत भी होती है।

खरपतवार नियंत्रण के लिए रासायनिक दवाओं की जगह हाथ से निराई और मल्चिंग का सहारा लिया जाता है। सूखी पत्तियाँ, फसल अवशेष और मल्च न केवल खरपतवार को नियंत्रित करते हैं, बल्कि नमी भी बनाए रखते हैं। कीट नियंत्रण के लिए नीम का अर्क, गोमूत्र, दशपर्णी अर्क या छाछ जैसे प्राकृतिक घोलों का छिड़काव किया जाता है, जिससे पौधों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और कीट संक्रमण कम होता है।

फसल विविधता भी नेचुरल खेती का अहम हिस्सा है। मिर्च के साथ धनिया, मेथी, तिल या अन्य फसलें लगाने से ग्रोथ बेहतर होती है और पेस्ट कंट्रोल में भी मदद मिलती है।

नेचुरल खेती से उगी मिर्च की कटाई समय पर की जाती है। पकी हुई मिर्च को सावधानीपूर्वक तोड़कर बाज़ार भेजा जाता है। इस तरीके से किसान को बेहतर मुनाफा मिलता है और उपभोक्ता को मिलता है शुद्ध, सुरक्षित और पोषक उत्पाद। पर्यावरण संरक्षण, मिट्टी की उपजाऊ शक्ति और टिकाऊ कृषि पद्धति के लिए नेचुरल खेती को आज अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

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