सूरत : न्यू सिविल हॉस्पिटल में 12 घंटे में दो ऑर्गन डोनेशन, छह मरीजों को मिली नई जिंदगी
ओडिशा और महाराष्ट्र के परिवारों ने दिखाई मानवता—न्यू सिविल में दर्ज हुआ 85वां सफल ऑर्गन डोनेशन
सूरत के न्यू सिविल हॉस्पिटल में केवल 12 घंटे के अंतराल में दो सफल ऑर्गन डोनेशन पूरे किए गए, जिससे कुल छह मरीजों को नई जिंदगी मिलने की उम्मीद जगी है। इनमें से एक अंगदान ओडिशा निवासी प्रधान परिवार द्वारा किया गया, जिन्होंने अपने ब्रेन-डेड रिश्तेदार के अंग दान कर मानवता की मिसाल पेश की। परिवार ओडिशा में रहता है, इसलिए न्यू सिविल टीम, SOTTO सदस्यों और ओडिशा समाज के नेताओं ने दो दिनों तक लगातार काउंसलिंग कर सहमति प्राप्त की।
न्यू सिविल में अधिकांश ब्रेन-डेड मामलों में अंगदान की परंपरा जारी है। ओडिशा के गंजम जिले के अंबाबाजार नुआपल्ली, बेगुनियापाड़ा खलीकोट निवासी 39 वर्षीय पंचुभाई कबीराज प्रधान का लिवर और दोनों किडनी जरूरतमंद मरीजों को जीवनदान देंगे। यह न्यू सिविल हॉस्पिटल का 85वां सफल ऑर्गन डोनेशन है।
17 नवंबर की सुबह पंचू प्रधान अचानक बेहोश होकर गिर पड़े। एक स्थानीय नागरिक द्वारा दी गई जानकारी पर उनके सहयोगी सोमनाथभाई ने 108 एम्बुलेंस बुलाकर उन्हें स्मिमेर अस्पताल पहुंचाया। हालत में सुधार न होने पर उन्हें सूरत न्यू सिविल हॉस्पिटल स्थानांतरित किया गया, जहां आईसीयू में भर्ती के बाद 21 नवंबर को दोपहर में डॉ. केतन नायक, डॉ. नीलेश कछड़िया, डॉ. प्रयाग मकवाणा और डॉ. केयूर प्रजापति की टीम ने उन्हें ब्रेन-डेड घोषित किया।
इसके बाद ऑर्गन डोनेशन चैरिटेबल ट्रस्ट के दिलीपदादा देशमुख के मार्गदर्शन में टीम ने ओडिशा में मौजूद परिवार से संपर्क साधा। पंचू की पत्नी रजनी प्रधान ओडिशा में अपनी 11 वर्षीय बेटी रूपाली और चार माह के पुत्र रोशन के साथ रहती हैं। IEC–SOTTO ओडिशा की प्रतिनिधि सुमन ने स्थानीय स्तर पर काउंसलिंग कर कानूनी रूप से लिखित और वीडियो सहमति हासिल की। जिला पुलिस और ओडिशा सरकार ने आवश्यक दस्तावेजों की प्रक्रिया में सहयोग किया।
लगातार 48 घंटे की काउंसलिंग के बाद परिवार अंगदान के लिए सहमत हुआ। सहमति के बाद पंचू प्रधान का लिवर और दोनों किडनी अहमदाबाद स्थित IKDRC हॉस्पिटल भेजी गईं। इसी 12 घंटे की अवधि में महाराष्ट्र के ठाणे जिले के माहिम के पाटिल परिवार ने भी अपने 28 वर्षीय ब्रेन-डेड रिश्तेदार अक्षय विलास पाटिल का लिवर और दो किडनी दान किए। न्यू सिविल हॉस्पिटल टीम, SOTTO सदस्यों और ओडिशा समाज के संयुक्त प्रयासों से दो अंगदानों ने तीन-तीन परिवारों में नई रोशनी फैलाई है।
