सूरत : मनपा मुख्यालय में कब्जा जमाए यूनियनों पर कार्रवाई तेज, 10 साल से अवैध कब्जे का खुलासा
डिप्टी कमिश्नर निधि सिवाच ने 11 यूनियनों को कार्यालय खाली कराया, आयकर रिटर्न और पंजीकरण रिकॉर्ड की माँग
सूरत। सूरत नगर निगम में वर्षों से यूनियनों की बढ़ती संख्या और उनके प्रभाव को लेकर उठते सवालों के बीच, मनपा प्रशासन ने पहली बार कड़े कदम उठाए हैं।
डिप्टी कमिश्नर (प्रतिनियुक्ति) निधि सिवाच ने 25 यूनियनों और एसोसिएशनों को उनकी वैधता सिद्ध करने के लिए सात दिनों के भीतर कानूनी दस्तावेज जमा करने का नोटिस जारी किया था। इनमें से कई यूनियनें अपनी वैधता साबित नहीं कर पाईं, जिसके बाद कार्रवाई तेज कर दी गई।
लालवावटा यूनियन ने खुद खाली किया दफ्तर, अन्य यूनियनों के बोर्ड भी हटाए गए। नोटिस की समयसीमा पूरी होने के बावजूद जब यूनियनें वैध दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर सकीं, तो बुधवार शाम लालवावटा यूनियन ने 5:45 बजे स्वयं अपना कार्यालय खाली कर दिया।
वहीं, अन्य यूनियनों द्वारा दफ्तर खाली न किए जाने पर, सेंट्रल ज़ोन की टीम ने उनके कार्यालयों के नाम-पट्ट हटाए और आगे की कार्रवाई शुरू की। जाँच में सामने आया है कि मनपा मुख्यालय में 11 यूनियनें 2015 से बिना पंजीकरण के अपने कार्यालयों का उपयोग कर रही थीं।
यानी वे पिछले लगभग एक दशक से अवैध रूप से मनपा परिसर में स्थान घेर कर बैठी थीं। प्रशासन ने ऐसे कब्जे को समाप्त करने के लिए अब सख्त रुख अपनाया है।
नगर निगम ने इतिहास में पहली बार यूनियनों से पिछले तीन वर्षों के आयकर रिटर्न और वित्तीय दस्तावेज जमा करने को कहा है। इससे यूनियनों में हड़कंप मच गया है, क्योंकि यह जांच सिर्फ पंजीकरण तक सीमित नहीं है बल्कि संभावित वित्तीय अनियमितताओं की तरफ भी इशारा कर रही है।
नोटिस की अवधि समाप्त होने पर 11 यूनियनों के प्रतिनिधि डिप्टी कमिश्नर निधि सिवाच से मिले और कार्यालय खाली करने के लिए समय मांगा। साथ ही पाँच यूनियनों ने दस्तावेज भी प्रस्तुत किए। निधि सिवाच अब इन दस्तावेजों की सत्यता और किसी वित्तीय गलतियों की जांच करेंगी।
सूत्रों के अनुसार, जहाँ पुरानी यूनियनों पर कार्रवाई जारी है, वहीं तीन नई यूनियनों ने आवेदन भी जमा कर दिए हैं, जो मनपा मुख्यालय में कार्यालय आवंटन की प्रतीक्षा कर रही हैं। इससे यूनियन राजनीति और तेज होने की संभावना है।
यह भी पता चला है कि मुगलसराय स्थित नगर निगम मुख्यालय में कार्यरत 11 यूनियनों के कार्यालयों का आवंटन 2015 में रद्द कर दिया गया था, फिर भी ये यूनियनें कार्यालयों पर कब्ज़ा जमाए बैठी थीं।
चूँकि ये यूनियनें टेलीफोन, बिजली सहित नगर निगम के उपकरणों का उपयोग कर रही हैं, इसलिए संभावना है कि आने वाले दिनों में इन यूनियनों से पिछले 10 वर्षों का किराया और अन्य खर्च वसूलने के लिए वसूली का नोटिस जारी किया जाए
