सूरत : बच्चों की कस्टडी और पहुँच के लिए पिता की अर्जी खारिज

पत्नी को अंधेरे में रखकर दोबारा शादी करने वाले पति की दलीलें अदालत ने नहीं मानी, माँ को दी स्थायी कस्टडी

सूरत : बच्चों की कस्टडी और पहुँच के लिए पिता की अर्जी खारिज

सूरत। परिवार न्यायालय, सूरत के अतिरिक्त न्यायाधीश ए.एस. देसाई ने एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए पिता द्वारा दायर दो नाबालिग बच्चों की स्थायी और अंतरिम अभिरक्षा (कस्टडी) की अर्जी को खारिज कर दी। अदालत ने माना कि बच्चों के हित और कल्याण के लिए वे अपनी माँ की देखरेख में रहना ही उचित है।

मामले के अनुसार, कतारगाम निवासी हितेश पटेल ने वर्ष 2006 में भाग्यश्री पटेल से विवाह किया था (पक्षकारों के नाम गोपनीयता हेतु बदले गए हैं)। उनके एक बेटा जयेश और एक बेटी वैदही हैं। वैवाहिक जीवन के शुरुआती कुछ वर्ष सामान्य रहे, लेकिन बाद में पति ने पत्नी के साथ मारपीट, गाली-गलौज और विवाहेतर संबंध शुरू कर दिए। पत्नी के अनुसार, पति ने उसे गुमराह कर तलाक के दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर करवाए और बाद में दूसरी शादी कर ली।

जब पत्नी को सच्चाई पता चली, तो उसने घरेलू हिंसा अधिनियम और भरण-पोषण के तहत याचिकाएँ दायर कीं। अदालत ने उन मामलों में पत्नी के पक्ष में निर्णय दिया और पति को 15,000 रुपये मासिक भरण-पोषण देने का आदेश दिया।

इसके बाद पति ने बच्चों की स्थायी और अंतरिम कस्टडी पाने के लिए संरक्षकता आवेदन दायर किया। पत्नी की ओर से अधिवक्ता प्रीति जिग्नेश जोशी ने पैरवी करते हुए अदालत में प्रमाण पेश किए कि पति न तो भरण-पोषण का भुगतान कर रहा है, न ही बच्चों के पालन-पोषण में कोई भूमिका निभा रहा है।

अदालत ने यह माना कि पति व्यभिचारी व्यवहार कर रहा है और दूसरी पत्नी के साथ रह रहा है, जिससे बच्चों के हितों को नुकसान पहुँच सकता है। अदालत ने यह भी दर्ज किया कि माँ ने बच्चों की शिक्षा, देखभाल और पालन-पोषण की पूरी ज़िम्मेदारी बख़ूबी निभाई है।

अंततः अदालत ने कहा कि बच्चों की भलाई माँ के पास रहकर ही संभव है, इसलिए पिता की दोनों अर्जी  स्थायी और अंतरिम अभिरक्षा की खारिज की जाती है।

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