सूरत : शिक्षा और प्रशासनिक जिम्मेदारियों के बीच फंसे शिक्षक

एक तरफ “पढ़ना-लिखना-गणना” अभियान, दूसरी तरफ बीएलओ ड्यूटी -शिक्षकों की बढ़ी मुश्किलें

सूरत : शिक्षा और प्रशासनिक जिम्मेदारियों के बीच फंसे शिक्षक

सूरत। सूरत नगर प्राथमिक शिक्षा समिति के स्कूलों में इन दिनों शिक्षकों पर दोहरी जिम्मेदारी का दबाव बढ़ गया है। एक ओर राज्य सरकार द्वारा 6 से 16 नवंबर तक “पढ़ना-लिखना-गणना” अभियान चलाया जा रहा है, तो दूसरी ओर कई शिक्षकों को मतदाता सूची संशोधन कार्य (बीएलओ ड्यूटी) में भी नियुक्त किया गया है। दोनों कार्यों की एकसाथ जिम्मेदारी निभाने में शिक्षकों की हालत खराब हो रही है।

शहर के विभिन्न स्कूलों से मिली जानकारी के अनुसार, कई प्रधानाध्यापक बीएलओ कार्य के लिए शिक्षकों को छुट्टी नहीं दे रहे, जिससे शिक्षकों में असंतोष फैल गया है। वहीं, दूसरी तरफ मतदाता सूची का कार्य राष्ट्रीय दायित्व होने के कारण इसे टालना भी संभव नहीं है।

शिक्षकों का कहना है कि दिवाली अवकाश के बाद जैसे ही नया सत्र शुरू हुआ, वैसे ही उन पर बीएलओ कार्य का बोझ डाल दिया गया। स्कूलों में पहले से ही शिक्षकों की कमी की समस्या गंभीर है, ऐसे में शिक्षकों के डबल ड्यूटी करने से छात्रों की पढ़ाई पर असर पड़ रहा है।

शिक्षा समिति की ओर से इस अवधि में छात्रों के पठन, लेखन और गणना कौशल सुधारने के लिए विशेष निरीक्षण अभियान चलाया जा रहा है। लेकिन अधिकतर शिक्षक बीएलओ कार्य में व्यस्त होने के कारण इस अभियान पर पूरा ध्यान नहीं दे पा रहे हैं। शिक्षकों का डर है कि यदि निरीक्षण के दौरान छात्रों का प्रदर्शन खराब पाया गया, तो उन पर कार्रवाई की तलवार लटक सकती है।

शिक्षक संघों ने मांग की है कि या तो बीएलओ कार्य की समयसीमा बढ़ाई जाए या फिर शिक्षकों को इस अभियान से अस्थायी रूप से मुक्त किया जाए, ताकि वे विद्यालयी शिक्षण पर पूरा ध्यान दे सकें और अभियान का वास्तविक उद्देश्य पूरा हो सके।