सूरत : श्रमिक अन्नपूर्णा योजना सस्ता भोजन, लेकिन साफ़-सफ़ाई का अभाव बना मज़दूरों के स्वास्थ्य के लिए खतरा

सरकारी योजना का लाभ तो मिल रहा है, पर देखरेख की कमी से गंदगी और संक्रमण का डर

सूरत : श्रमिक अन्नपूर्णा योजना सस्ता भोजन, लेकिन साफ़-सफ़ाई का अभाव बना मज़दूरों के स्वास्थ्य के लिए खतरा

सूरत। शहर में लाखों मज़दूरों को सस्ते और पौष्टिक भोजन की सुविधा देने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई श्रमिक अन्नपूर्णा योजना अब स्वच्छता के अभाव में सवालों के घेरे में आ गई है। श्रम, कौशल विकास एवं रोज़गार विभाग द्वारा बनाए गए भोजन के केबिनों के आसपास गंदगी का जमाव और खुले में रखी पेयजल टंकियाँ मज़दूरों के स्वास्थ्य के लिए खतरा बन गई हैं।

सरकार की इस योजना के तहत मज़दूरों को प्रतिदिन मात्र पाँच रुपये में भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। गुजरात आवास एवं अन्य निर्माण कर्मयोगी कल्याण बोर्ड द्वारा शहर के विभिन्न इलाकों—कातरगाम, पांडेसरा, उधना और लिम्बायत—में बनाए गए केबिनों से रोज़ाना हज़ारों मज़दूर लाभ ले रहे हैं। लेकिन कई स्थानों पर इन केबिनों की देखरेख नहीं होने के कारण सफ़ाई की स्थिति बेहद खराब बताई जा रही है।

हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में कातरगाम क्षेत्र के एक अन्नपूर्णा केबिन की पेयजल टंकी गंदी हालत में दिखाई दी। वीडियो में केबिन के पास गंदगी फैली हुई थी और टंकी खुले में रखी गई थी, जो न केवल संक्रमण का स्रोत बन सकती है बल्कि डेंगू जैसे मच्छरजनित रोगों के प्रसार का भी कारण बन सकती है।

मज़दूरों का कहना है कि “पाँच रुपये में भोजन मिलना सराहनीय कदम है, लेकिन गंदे माहौल में खाना खाने से बीमारी फैलने का डर रहता है।” उन्होंने नगर निगम और संबंधित विभाग से मांग की है कि इन केबिनों की नियमित सफ़ाई कराई जाए और पेयजल टंकियों को एयरटाइट ढक्कन से बंद किया जाए।

विशेषज्ञों का कहना है कि यदि जल्द सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए तो गंदगी और दूषित पानी के कारण मज़दूरों में पेट और त्वचा संबंधी बीमारियाँ फैल सकती हैं। साफ़-सफ़ाई और स्वास्थ्य सुरक्षा के उपायों के बिना यह योजना अपने वास्तविक उद्देश्य से भटक सकती है।

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