धारावी पुनर्विकास परियोजना अदाणी को दिए जाने के खिलाफ दुबई की कंपनी की याचिका पर सुनवाई स्थगित
नयी दिल्ली, 13 नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने संयुक्त अरब अमीरात आधारित सेकलिंक टेक्नोलॉजीज कॉर्पोरेशन की याचिका पर सुनवाई बृहस्पतिवार को दिसंबर के पहले सप्ताह तक स्थगित कर दी जिसमें मुंबई की धारावी पुनर्विकास परियोजना को अदाणी प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड को देने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले को चुनौती दी गई है।
प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन तथा न्यायमूर्ति विपुल पंचोली की पीठ ने कहा कि प्रधान न्यायाधीश इस मामले में सुनवाई पूरी नहीं कर पाएंगे क्योंकि वह 23 नवंबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं।
न्यायमूर्ति गवई ने मौखिक रूप से कहा, ‘‘हमारे हाथ में बहुत से मामले हैं, मैं कितने फैसले लिखूंगा?’’
शीर्ष अदालत ने सात मार्च को परियोजना पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था और बंबई उच्च न्यायालय के 20 दिसंबर, 2024 के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर महाराष्ट्र सरकार तथा अदाणी प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड से जवाब मांगा था।
उच्च न्यायालय ने धारावी में मलिन बस्तियों के पुनर्विकास का रास्ता साफ कर दिया था और परियोजना के लिए अदाणी समूह को दी गई निविदा को बरकरार रखा था, तथा कहा था कि निर्णय में कोई ‘‘मनमानापन, अनुचित तरीका या गड़बड़ी’’ नहीं थी।
इस प्रक्रिया में उच्च न्यायालय ने सेकलिंक टेक्नोलॉजीज कॉर्पोरेशन की याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें राज्य सरकार द्वारा मेगा पुनर्विकास परियोजना को अदाणी प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड को सौंपे जाने के फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसने 5,069 करोड़ रुपये की पेशकश की थी।
सेकलिंक टेक्नोलॉजीज कॉर्पोरेशन 2018 में 7,200 करोड़ रुपये की पेशकश के साथ इस परियोजना के लिए सबसे बड़ी बोली लगाने वाली कंपनी के रूप में उभरी थी, लेकिन बाद में सरकार ने इस निविदा को रद्द कर दिया था।
अदाणी समूह 2022 की निविदा प्रक्रिया में सबसे बड़ा बोलीदाता बनकर उभरा और उसने 5,069 करोड़ रुपये के प्रस्ताव के साथ 259 हेक्टेयर में धारावी पुनर्विकास परियोजना हासिल कर ली।
सेकलिंक टेक्नोलॉजीज कॉर्पोरेशन ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है।
शीर्ष अदालत ने याचिका पर नोटिस जारी करते हुए अदाणी प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड को परियोजना के लिए भुगतान एक ही बैंक खाते के माध्यम से करने का निर्देश दिया।
सेकलिंक टेक्नोलॉजीज कॉर्पोरेशन की याचिका को खारिज करते हुए उच्च न्यायालय ने उसकी इस दलील को भी खारिज कर दिया था कि निविदा निजी समूह की एक विशेष फर्म के अनुरूप तैयार की गई थी। उसने कहा था कि इस प्रक्रिया में तीन बोलीदाताओं ने भाग लिया था।
सरकार ने कहा कि 2018 की निविदा रद्द कर दी गई थी और चार साल बाद एक नयी निविदा जारी की गई थी, क्योंकि कोविड-19 महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे कई कारकों ने वित्तीय और आर्थिक स्थिति को प्रभावित किया था।
मेगा पुनर्विकास परियोजना के लिए पहली निविदा नवंबर 2018 में जारी की गई थी।
मार्च 2019 में बोलियां खोली गईं और पाया गया कि सेकलिंक टेक्नोलॉजीज कॉर्पोरेशन सबसे ऊंची बोली लगाने वाली कंपनी थी।
दुनिया के सबसे घने शहरी इलाकों में से एक धारावी एक झुग्गी बस्ती है जिसमें आवासीय और छोटी औद्योगिक इकाइयां हैं।
