सूरत : न्यूजीलैंड के स्काई टॉवर में गूंजा "वंदे मातरम्"

ईको भारत के संस्थापक सम्पत सारस्वत बामनवाली ने मनाया वंदे मातरम् के 150वें वर्ष का उत्सव

सूरत : न्यूजीलैंड के स्काई टॉवर में गूंजा

 भारत के राष्ट्रीय गीत “वंदे मातरम्” के 150वें वर्ष पर दुनिया के सबसे ऊँचे और प्रतिष्ठित स्थलों में से एक न्यूजीलैंड के स्काई टॉवर से “वंदे मातरम्” की गूंज उठी। इस ऐतिहासिक अवसर पर ईको भारत के संस्थापक एवं सीईओ सम्पत सारस्वत बामनवाली ने 7 नवंबर 2025 को हजारों भारतीय मूल के लोगों के साथ मिलकर इस गीत को गाया।

यह आयोजन भारत सरकार द्वारा देशभर में मनाए जा रहे वंदे मातरम् के 150वें उत्सव का हिस्सा था, जिसका नेतृत्व वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल कर रहे हैं। वहीं, गोयल ने रोटोरया (न्यूजीलैंड) में हजारों की भीड़ के साथ “वंदे मातरम्” गाकर इस उत्सव को नई ऊँचाई दी।

बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा 1875 में रचित “वंदे मातरम्” को पहली बार रवींद्रनाथ टैगोर ने 1896 में गाया था। यह गीत भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की प्रेरणा रहा है और आज भी देशभक्ति एवं राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक माना जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर “मन की बात” में लोगों से इस गीत से जुड़ी अपनी भावनाएँ साझा करने का आह्वान किया।

ऑकलैंड के स्काई टॉवर से “वंदे मातरम्” गाकर सम्पत सारस्वत बामनवाली ने भारत की सांस्कृतिक पहचान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर सशक्त रूप से प्रस्तुत किया। वे वर्तमान में ऑकलैंड में चल रही भारत–न्यूजीलैंड मुक्त व्यापार समझौता (FTA) वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व भी कर रहे हैं। सामाजिक कार्य, सड़क सुरक्षा, हिंदी साहित्य और सांस्कृतिक प्रचार-प्रसार में उनके योगदान को व्यापक रूप से सराहा गया है। वे विश्व हिंदी परिषद के राजस्थान प्रभारी, सैल्यूट तिरंगा के गुजरात प्रभारी हैं और “वाग्धारा सम्मान 2023” सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं।

इस अवसर पर देशभर में सांस्कृतिक कार्यक्रमों, प्रदर्शनी और संगोष्ठियों का आयोजन किया गया। यह आयोजन न केवल भारत की सांस्कृतिक एकता और भावना का प्रतीक बना, बल्कि भारत और न्यूजीलैंड के बीच सांस्कृतिक एवं आर्थिक संबंधों को मजबूत करने की दिशा में भी एक अहम कदम साबित हुआ। सम्पत सारस्वत बामनवाली की इस पहल ने “वंदे मातरम्” की गूंज को वैश्विक मंच तक पहुँचा दिया, जिससे भारत की पहचान और गौरव नई ऊँचाइयों तक पहुँचा।

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