सूरत : बिहार चुनाव का सूरत की टेक्सटाइल इंडस्ट्री पर असर, मिलों में श्रमिकों की कमी बरकरार
छठ एवं चुनावी सीज़न में लौटे प्रवासी मजदूर देर से आएंगे, दीपावली के दो सप्ताह बाद भी उत्पादन प्रभावित
गुजरात की आर्थिक राजधानी और देश के प्रमुख टेक्सटाइल हब सूरत में इन दिनों डाइंग-प्रिंटिंग समेत विभिन्न कपड़ा यूनिटों में श्रमिकों की भारी कमी देखी जा रही है। दीपावली के बाद आमतौर पर मजदूर धीरे-धीरे वापस लौटना शुरू कर देते हैं, लेकिन इस वर्ष बिहार विधानसभा चुनाव एवं छठ महापर्व के कारण बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक अभी भी अपने गांवों में ही रुके हुए हैं।
सूरत की टेक्सटाइल इंडस्ट्री में उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा समेत विभिन्न राज्यों के लाखों श्रमिक कार्यरत हैं। 6 व 11 नवंबर को होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र अधिकांश बिहारी श्रमिक अपने गांव लौट चुके हैं। वे न सिर्फ मतदान में हिस्सा ले रहे हैं बल्कि धान कटाई, शादी-ब्याह और अन्य सामाजिक कार्यक्रमों में भी व्यस्त हैं। परिणामस्वरूप, दीपावली के लगभग 15 दिन बाद भी उद्योगों में कामगारों की कमी बनी हुई है।
मिल टेम्पो डिलीवरी कॉन्ट्रेक्टर्स एसोसिएशन के प्रमुख राजेंद्र उपाध्याय ने बताया कि हर साल दीपावली के बाद बिहारी श्रमिक देर से लौटते हैं, लेकिन इस बार चुनावी माहौल और सामाजिक कार्यक्रमों के चलते यह देरी और अधिक हो सकती है। उन्होंने कहा, “एनडीए की जीत तय है। सूरत से गए सभी लोग अपने-अपने क्षेत्रों में प्रचार में जुटे हैं। श्रमिक चुनाव और छठ पर्व के बाद ही लौटेंगे। कुछ तो नवंबर-दिसंबर की शादियों के कारण और देर से आएंगे।” उद्योग से जुड़े जानकारों का कहना है कि श्रमिकों की कमी के चलते कई डाइंग-प्रिंटिंग मिलों में उत्पादन प्रभावित हो रहा है। व्यापारियों का मानना है कि श्रमिकों की वापसी के बाद ही उत्पादन सामान्य हो पाएगा।
