वडोदरा : बीएपीएस के 15,666 बच्चों ने 315 संस्कृत श्लोक सुनाकर रचा इतिहास

वडोदरा के 1,531 बालकों ने सत्संग दीक्षा ग्रंथ के श्लोकों का किया उच्चारण, प्राचीन वैदिक परंपरा का अद्भुत पुनरुत्थान

वडोदरा : बीएपीएस के 15,666 बच्चों ने 315 संस्कृत श्लोक सुनाकर रचा इतिहास

आधुनिक युग में जहां बच्चे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में व्यस्त रहते हैं, वहीं बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था ने भारतीय सनातन संस्कृति के संवर्धन का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया है। संस्था के 15,666 बच्चों ने सत्संग दीक्षा ग्रंथ के सभी 315 संस्कृत श्लोक कंठस्थ कर विद्वान आचार्यों के समक्ष सुनाकर विश्व रिकॉर्ड जैसा कार्य किया।

यह आयोजन परम पूज्य महंत स्वामी महाराज के आशीर्वाद से संपन्न हुआ, जिन्होंने पिछले वर्ष दीपावली पर संकल्प लिया था कि 10,000 से अधिक बच्चे इस ग्रंथ का अध्ययन करें। उल्लेखनीय है कि यह लक्ष्य पार करते हुए 15,666 बाल विद्वानों ने यह उपलब्धि हासिल की। इनमें से वडोदरा शहर के 1,531 बच्चों जिनमें 782 बालक तथा 749 बालिकाएँ सम्मिलित होकर इस दिव्य सत्संग दीक्षा वाचन कर शहर का नाम रोशन किया।

अटलदरा स्थित बीएपीएस श्री स्वामीनारायण मंदिर में इन बाल विद्वानों का सम्मान समारोह आयोजित हुआ। कार्यक्रम में बच्चों को महापंडितों की भांति पालकी में बिठाकर भक्तों द्वारा कंधों पर उठाकर यज्ञपुरुष सभागृह की परिक्रमा करवाई गई। इसके पश्चात लगभग 60 यज्ञ कुंडों पर विश्व शांति हेतु विशेष होम यज्ञ भी संपन्न हुआ, जिसमें बच्चों ने मंत्रोच्चार किया और संस्कृत परंपरा का जीवन्त प्रदर्शन किया।

महंत स्वामी महाराज द्वारा 87 वर्ष की आयु में मात्र 64 दिनों में लिखित यह ग्रंथ भारतीय संस्कृति का सार प्रस्तुत करता है। 315 श्लोकों में नैतिकता, अनुशासन, व्यसनमुक्ति,चरित्र निर्माण, सेवा भाव, सहिष्णुता, सर्वधर्म सम्मान एवं राष्ट्र भावना जैसे उच्च आदर्शों का संदेश निहित है। कई बच्चे 3 से 13 वर्ष की आयु के हैं, जिनमें से कुछ ने अब तक स्कूल भी नहीं देखा है, परंतु माता-पिता की मेहनत और संस्कारों ने उन्हें इस उपलब्धि तक पहुंचाया।

बीएपीएस संस्था द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम न केवल वैदिक परंपरा का पुनरुत्थान है, बल्कि आधुनिक पीढ़ी में आध्यात्मिकता, संस्कार एवं शिक्षा का उज्ज्वल मार्ग भी प्रशस्त करता है।

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