वडोदरा : ‘वोकल फॉर लोकल’ की मिसाल, वडोदरा की इशिताबेन परमार के सजावटी सामान की ऑस्ट्रेलिया और कनाडा तक माँग
गृह उद्योग के माध्यम से 100 से अधिक महिलाओं को रोज़गार, ‘सहियार ग्राम हाट’ में वडोदरा ज़िले में प्रथम स्थान हासिल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान को साकार रूप देने वाली वडोदरा की 40 वर्षीय इशिताबेन चिरागभाई परमार आज देश-विदेश में अपनी पहचान बना चुकी हैं। वडोदरा के अहमदाबादी पोल क्षेत्र में सजावटी वस्तुओं का व्यवसाय चलाने वाली इशिताबेन पिछले छह वर्षों से वडोदरा और आसपास के गाँवों की लगभग 100 महिलाओं को रोजगार प्रदान कर रही हैं।
इशिताबेन शादियों और त्योहारों से संबंधित सजावटी सामग्री जैसे थाली, डेकोरेटिव प्लेट, पूजा सामग्री और उपहार पैकिंग तैयार करती हैं। उन्होंने उन महिलाओं को रोज़गार का अवसर दिया है जो घर से बाहर जाकर काम नहीं कर सकतीं। यह महिलाएं घर पर ही सजावटी उत्पाद तैयार कर प्रति माह औसतन 20 हज़ार रुपये तक की आय अर्जित करती हैं।
छह वर्ष पूर्व इशिताबेन ने मात्र पाँच प्लेटों से अपने व्यवसाय की शुरुआत की थी, और आज उनका उत्पादन 5,000 से 10,000 प्लेट प्रति माह तक पहुँच गया है। त्योहारों के मौसम में उनकी मासिक कमाई 3 से 4 लाख रुपये तक हो जाती है। कोविड-19 महामारी के कठिन समय में भी उन्होंने 20 महिलाओं को रोज़गार देकर उनके परिवारों का सहारा बनीं।
इशिताबेन का ब्रांड ‘अंजना क्रिएशन्स’ अब एक सफल गृह उद्योग के रूप में उभर चुका है। हाल ही में ज़िला स्तरीय ‘सहियार ग्राम हाट’ में उनके उद्योग ने 61 गृह उद्योगों में से प्रथम स्थान प्राप्त किया, जो उनकी मेहनत और नवाचार का प्रमाण है।
इशिताबेन ने अपनी मेहनत और रचनात्मकता के बल पर बिना किसी औपचारिक प्रशिक्षण के इस क्षेत्र में सफलता हासिल की। पहले वे वडोदरा के एक निजी स्कूल में प्रशासक थीं, लेकिन उन्होंने नौकरी छोड़कर आत्मनिर्भरता की राह चुनी। आज उनके उत्पाद पूरे भारत के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया और कनाडा तक निर्यात किए जा रहे हैं।
उनके सजावटी उत्पाद 10 रुपये से लेकर 2 लाख रुपये तक की विविध रेंज में उपलब्ध हैं। ग्राहकों की मांग के अनुसार विशेष डिज़ाइन तैयार किए जाते हैं, जिनके लिए कच्चा माल अहमदाबाद, मुंबई, कोलकाता और दक्षिण भारत से मंगवाया जाता है।
इशिताबेन के पति रंग-रोगन और डिज़ाइनिंग के काम में सक्रिय सहयोग करते हैं। पूरा परिवार इस उद्योग से जुड़ा हुआ है। इशिताबेन का मानना है कि गृह उद्योग क्षेत्र में रचनात्मक और पारंपरिक डिज़ाइनों की अपार संभावनाएँ हैं। वे कहती हैं “मैं चाहती हूँ कि हमारे पारंपरिक और विरासत डिज़ाइन नई पीढ़ी तक पहुँचें और भारतीय कला की पहचान विश्वभर में बने।”