वडोदरा : जैन मंदिर में सेवारत हितेंद्रभाई परमार ने लिया था अंगदान का जीवंत व्रत, ब्रेन डेड के बाद एसएसजी अस्पताल में हुआ अंगदान

पदमला निवासी 56 वर्षीय हितेंद्रभाई के लिवर, किडनी और कॉर्निया से पाँच लोगों को मिला नया जीवन

वडोदरा : जैन मंदिर में सेवारत हितेंद्रभाई परमार ने लिया था अंगदान का जीवंत व्रत, ब्रेन डेड के बाद एसएसजी अस्पताल में हुआ अंगदान

वडोदरा तालुका के पदमला स्थित जैन मंदिर में सेवारत 56 वर्षीय हितेंद्रभाई मणिलाल परमार ने जीवन रहते अंगदान का संकल्प लिया था, जिसे उनके निधन के बाद उनके परिवार ने पूरा कर एक मिसाल कायम की। ब्रेन डेड घोषित होने के बाद उनके अंग सर सयाजी गायकवाड़ (एसएसजी) अस्पताल में भावुक माहौल के बीच दान किए गए।

जानकारी के अनुसार, हितेंद्रभाई परमार को 3 अक्टूबर को अचानक रक्तचाप बढ़ने से तबीयत बिगड़ गई, जिसके बाद उन्हें एसएसजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों ने उन्हें वेंटिलेटर पर रखा, लेकिन बाद में उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया।

डॉक्टरों ने जब परिवार को अंगदान की सलाह दी, तो परिजनों ने बताया कि हितेंद्रभाई स्वयं पहले से ही अंगदान का व्रत ले चुके थे। उन्होंने जीवन में ही कहा था—“मेरी मृत्यु के बाद मेरे अंग दूसरों को दान कर देना।” उनके भतीजे विपुलभाई परमार ने बताया कि हितेंद्रभाई हमेशा सेवा और परोपकार की भावना रखते थे।

एसएसजी अस्पताल के डॉ. राजेंद्र राठौड़ ने बताया कि सभी चिकित्सकीय प्रक्रियाएँ पूरी करने के बाद हितेंद्रभाई के लिवर, दोनों किडनी और दो कॉर्निया अंगों का सफलतापूर्वक दान किया गया। ये अंग पाँच अलग-अलग रोगियों को नया जीवन प्रदान करेंगे।

अस्पताल प्रशासन ने बताया कि इस वर्ष एसएसजी अस्पताल में यह सातवां अंगदान है। हितेंद्रभाई परमार के इस परोपकारी कदम ने समाज में मानवता, करुणा और अंगदान के प्रति जागरूकता का प्रेरक संदेश दिया है।

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